Tuesday, January 6, 2015

प्यार का अंदाज

          प्यार का अंदाज

हमारे प्यार करने पर ,गज़ब अंदाज है उनका,
       दिखाती तो झिझक है पर,मज़ा उनको भी आता है
कभी जब रूठ वो जाते,चाहते हम करें मिन्नत,
       वो मुस्काते है मन में जब,उन्हें जाया  मनाता  है
संवर कर और सज कर जब  ,पूछते,कैसे लगते है,
         समझते हम निमंत्रण है,रहा हमसे न जाता   है
उन्हें बाहों में भर कर के,हम उन्हें प्यार जब करते,
          खफा होते जब ,होठों से , लिपस्टिक  छूट जाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सुलहनामा -बुढ़ापे में

                   सुलहनामा -बुढ़ापे में

हमें मालूम है कि हम ,बड़े बदहाल,बेबस है,
 नहीं कुछ दम बचा हम में ,नहीं कुछ जोश बाकी है ,
मगर हमको मोहब्बत तो ,वही बेइन्तहां तुमसे ,
                     मिलन का ढूंढते रहते ,बहाना इस बुढ़ापे में    
बाँध कर पोटली में हम,है लाये प्यार के चांवल,
अगर दो मुट्ठी चख लोगे,इनायत होगी तुम्हारी,
बड़े अरमान लेकर के,तुम्हारे दर पे आया है ,
                      तुम्हारा चाहनेवाला ,सुदामा इस बुढ़ापे में
ज़माना आशिक़ी का वो ,है अब भी याद सब हमको,
तुम्हारे बिन नहीं हमको ,ज़रा भी चैन पड़ता था ,
तुम्हारे हम दीवाने थे,हमारी तुम दीवानी थी,
                  जवां इक बार हो फिर से ,वो अफ़साना बुढ़ापे में
भले हम हो गए बूढ़े,उमर  तुम्हारी क्या कम है ,
नहीं कुछ हमसे हो पाता ,नहीं कुछ कर सकोगी तुम ,
पकड़ कर हाथ ही दो पल,प्यार से साथ बैठेंगे ,
                   चलो करले ,मोहब्बत का ,सुलहनामा ,बुढ़ापे में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'