Tuesday, May 19, 2015

शादी का बंधन

            शादी का बंधन

दिया भगवान ने मुझको ,अगर धरती पे जीवन है
है इस पर पूर्ण हक़ मेरा ,मिला जो प्यारा  सा तन है
करूं उपयोग मैं इसका, जैसे  भी मन में आता है 
तो  क्यों प्रतिबन्ध ढेरों से,ज़माना ये लगाता है
कभी ना तो कभी ये प्रश्न ,सभी के मन में उठता है
नहीं स्वातंत्र्य है कुछ भी ,भला क्यों ये विवशता है
मिला उत्तर ये भगवन ने,दिया है मन भी तन के संग
बड़ा भावुक वो होता है, जो रंग जाता किसी के रंग
तो उसके साथ जीवन भर का फिर बंध  जाता बंधन है
तो फिर क्या तन और क्या मन,सभी उसको समर्पण है
अगर बंधन ये ना होता  ,न बच्चे ,,घर नहीं रहता 
तो  इन्सां  और पशुओं में ,नहीं अंतर कोई   रहता 
रोकने को जो  उच्श्रंखलता,व्यवस्था है गयी बाँधी
यही बंधन है सामाजिक  ,जिसे हम कहते है शादी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

आज आया युग नया है

          आज आया युग नया है

लेखनी कागज़ पे कुछ लिखती नहीं अब
उँगलियाँ  'कीबोर्ड ' पर टंकित करे सब 
           भेजते  'ई मेल' से है  सब  संदेशे ,
'     पोस्ट' करने का ज़माना   लद  गया है
       इस तरह का आज आया  युग नया  है
'फेस बुक' पर फेस दीखते अब हमारे
देखते   'यू ट्यूब' पर सारे   नज़ारे
      होगये स्मार्ट लड़के,लड़कियां सब ,
       फोन ये स्मार्ट जब से आ गया है
       इस तरह से आज आया युग नया है
हो रही 'व्हाट्स एप'पर मेसेजबाजी
शादी तक के लिए होते लोग राजी
      नया 'चेटिंग' और 'डेटिंग' का तरीका ,
      उँगलियों के इशारों पर छागया  है
      इस तरह का आज आया युग नया है  
बाज़ारों की संस्कृति अब खो रही है
'ओन लाइन'सभी  'शॉपिंग' हो रही है
         हो गया होशियार इतना गुरु 'गूगल '
          हल समस्या का सभी वो पा गया है
         इस तरह का आज आया युग नया  है
अब न खाना पकाना अम्मा सिखाती
'रेसिपी'  यू ट्यूब 'पर है सभी आती
           'ओन लाइन'बुक किया,'पीज़ा' मंगाया,
           तीस मिनटों में वो झट घर आगया है
           इस तरह का आज आया युग नया है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'