सर्दियों की दस्तक
नारियल के तेल में अब ,
श्वेत श्वेत कुछ रेशे
ऐसे मंडराने लगे है
जैसे झील के किनारे ,
विदेशी सैलानी पक्षी,
फिर से अब आने लगे है
अंग जो तरंग भरते ,
उमंगें नयी तन में,
अब ढके जाने लगे है
सांझ आये ,सिहरता तन
क्योंकि सूरज देवता भी ,
जल्दी घर जाने लगे है
गरम गरम चाय ,काफी,
प्याज ,आलू के पकोड़े
आजकल भाने लगे है
दे रही है शीत दस्तक,
ऐसा लगता सर्दियों के,
अब तो दिन आने लगे है
घोटू
नारियल के तेल में अब ,
श्वेत श्वेत कुछ रेशे
ऐसे मंडराने लगे है
जैसे झील के किनारे ,
विदेशी सैलानी पक्षी,
फिर से अब आने लगे है
अंग जो तरंग भरते ,
उमंगें नयी तन में,
अब ढके जाने लगे है
सांझ आये ,सिहरता तन
क्योंकि सूरज देवता भी ,
जल्दी घर जाने लगे है
गरम गरम चाय ,काफी,
प्याज ,आलू के पकोड़े
आजकल भाने लगे है
दे रही है शीत दस्तक,
ऐसा लगता सर्दियों के,
अब तो दिन आने लगे है
घोटू