Thursday, March 22, 2018

गलतफहमी 

ये समझ कर तुम्हारा हसीं जिस्म है ,
मैं  अँधेरे में सहलाता जिसको रहा 
तुमने ना तो हटाया मेरा हाथ ही,
ना रिएक्शन दिया और न ना ही कहा 
मैं  बड़ा खुश था मन में यही सोच कर,
ऐसा लगता था ,दाल आज गल जायेगी  
हसरतें कितनी ही ,जो थी मन में दबी ,
सोचता था की अब वो निकल जायेगी 
गुदगुदा और नरम था वो कोमल बदन ,
मैं समझ तेरा ,मन अपना बहला रहा 
दिल के अरमाँ सभी,आंसुओ में बहे ,
निकला तकिया ,जिसे था मैं सहला रहा 

घोटू 
आशिक़ी की शिद्दत 

नाम उनने अपने हाथों ,जब लिखा दीवार पर ,
लोग सब उस जगह का चूना कुतर कर खा गए 
नाम उनने ,अपना कुतरा ,जब तने पर वृक्ष के ,
कुछ ही दिन में ,बिना मौसम ,उसमे भी फल आगये 
आशिकों की आशिकी की ,हद तो उस दिन हो गयी,
उनने 'आई लव यू 'कहा ,तो आया ऐसा  जलजला 
नाम अपना बदलने की होड़ सब में लग गयी ,
नाम अपना बदल ,'यू ' रखने लगा हर मनचला 

घोटू