Thursday, July 25, 2019

       मुझसे झगड़ा न करो रानी

मुझ भोले भाले ,बैठे ठाले ,ढीले ढाले मानव से ,
तुम नए निराले नखरों से ,हरदम अकड़ा न करो रानी
                                   मुझसे झगड़ा न करो रानी
 
माना तुम गोरी चमड़ी की ,चिकनी हो ,लाल चुकंदर सी
मैं बुद्धू, श्याम वरन का हूँ ,मेरी सूरत है  बंदर  सी  
तुम पहलवान हो किंगकॉन्ग सी ,मुझे मर्ज है टीबी का
पर मुझसे क्यों झगड़ा करती ,क्या यही फर्ज है बीबी का
मुझ दुबले पतले प्राणी पर ,बेलन के वार चलाती हो
सलवार धार कर तानो की तीखी तलवार चलाती हो
मैं तंग आ गया तुम्हारी ,जिव्हा की तेज कतरनी से
घरवाला  तो हूँ ,हार मानता लेकिन अपनी घरनी  से
मेरे चूहे से कान ,मानता हूँ ,लेकिन ये कोमल है ,
इनको इतनी आज़ादी से ,ऐसे पकड़ा न करो रानी
                               मुझसे झगड़ा न करो रानी

देखो मैं तुम्हारे कितने ,नखरे और नाज़ उठाता हूँ
पर फिर भी तुम्हारे खिलाफ ,मैं ना आवाज उठाता हूँ
पिक्चर का मूड कभी होता तो तुमको राजी करता हूँ
तुम्हारी रूप प्रशंसा कर ,मैं मख्खनबाजी करता हूँ
लेकिन तुम एक टके  जैसा उत्तर दे टरका देती हो
मेरे पॉकेट के सब रूपये ,चुपके से सरका लेती हो
मैं  इतना काम किया करता पर फिर भी भीगी बिल्ली सा
तुम बम्बई सी भड़कीली ,मैं मौन शांत हूँ दिल्ली सा
तुम्हारी बिना इजाजत के ,मैं नहीं कहीं भी जा सकता ,
भारत स्वतंत्र फिर बंधन में ,मुझको जकड़ा न करो रानी
                                     मुझसे झगड़ा न करो रानी

तुम पढ़ीलिखी हो समझदार हो ,दो बच्चों की मम्मी हो
मैं एक नए पैसे जैसा हूँ तो तुम एक अठन्नी हो
तुम एवरेस्ट सी ऊंची हो तो मैं हूँ एक टिबड्डा सा
तुम पेसेफिक सी गहरी हो मैं हूँ बरसाती गड्डा सा
सब कहते है मैं हूँ गदहा पर  मैंने हथिनी पायी है
लेकिन है गर्व मुझे ,मैंने तुम जैसी पतनी पायी है
तुम मच्छरदानी जैसी हो मैं मच्छर जैसा हूँ सजनी
पर मैं तुम्हारा पति जो हूँ ,परमेश्वर जैसा हूँ सजनी
मेरी पूजा यदि नहीं करो तो मुझको भक्त बना लो तुम ,
मेरी पूजा स्वीकार करो दिल यूं सकडा  न करो रानी
                                 मुझसे झगड़ा न करो रानी

वो तो मैं ही हूँ ढीठ बना सब बात तुम्हारी सुन लेता
एक बात के उत्तर में ,मैं आठ तुम्हारी सुन लेता
पर अब ये अल्टीमेटम है कि तुमसे नहीं डरूंगा मैं
यह हड़ताली युग आया देवीजी हड़ताल करूँगा मैं
इन रोज रोज की झिड़की से जो लगी एक भी बात मुझे
तो निश्चित ही बनना होगा फिर कोई तुलसीदास मुझे
मैं साधू कवि बन गया तो ,मेरी जग में इज्जत होगी
लेकिन इतना तो सोचो तुम ,तुम्हारी क्या हालत होगी  
मुझको बैरागी बनने से ,जो अगर बचाना है तुमको
ना झगडोगी लो कसम प्रिये ,हमसे अकड़ा न करो रानी
                                    मुझसे झगड़ा न करो रानी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
एक सलाह -शादी के बारे में

मेरे मित्रों ,उस लड़की से शादी करना,जो काली हो
सास ससुर हो दिलवाले ,वो भले जेब से खाली हो

चिकनी चमड़ी ही मत देखो शादी जीवन का सौदा है
रंग रूप दिखावा है केवल ,असली तो दिल ही होता है
मत देखो गोरा तन केवल ,बाहर से सभी चमकते है
ऊंची दूकान वाले फीके पकवान सजा कर रखते है
बासी सफ़ेद रसगुल्लों से ,ताज़ा गुलाबजामुन अच्छा ,
काली लड़की है ,हाँ भर दो ,चाहे ना देखी  भाली हो
मेरे मित्रों उस लड़की से शादी करना जो काली हो

उजले तन को क्या चाटोगे ,असली होता उजला मन है
चमकीला कांच तभी होगा ,जब पीछे काला रोगन  है
जिसको निज रूप सदा प्यारा वो प्यार पति को क्या देगी
मेकअप से छुट्टी नहीं जिसे, उपहार पति को क्या देगी
गोरी बीबी को बाज़ारों में ,लोग घूर कर तकते  है ,
इससे काली बीबी अच्छी जो लम्बे घूंघट वाली हो
मेरे मित्रों उस लड़की से शादी  करना जो काली हो

जो लक्ष्मी के दीवाने है ,कोई से प्यार न करते है
पैसे वाले ये सास ससुर ,दामाद ख़रीदा करते है
पैसे वालों की बेटी जी को पतिगृह नहीं सुहाता है
अक्सर पीहर में मन लगता ,पीघर से मन उकताता है
उस बड़े बाप की बेटी से जो नहीं पकाना तक जाने ,
अच्छी गरीब की बेटी ,कामधाम  तो करने वाली हो
मेरे मित्रों उस लड़की से शादी करना जो काली हो

मेरे मत में संसार सार ,केवल ससुराल हुआ करता
ससुराल बड़े घर के में तो ,कैदी सा हाल हुआ करता
इससे गरीब ही अच्छे है ,जो दिल का रिश्ता समझेंगे
बेटी का बोझ किया हल्का ,वो तुम्हे फरिश्ता समझेंगे
भोले भाले हो सास ससुर ,काली बीबी जीवन साथी ,
ससुराल स्वर्ग बन जाएगा ,यदि कोई छोटी साली हो
मेरे मित्रों उस लड़की से शादी करना जो काली हो

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
मात शारदे

मात  शारदे !
मुझे प्यार दे
वीणा वादिनी ,
नव बहार दे

मन वीणा को ,
झंकृत  कर दे
हंस वाहिनी ,
ऐसा वर दे
सत पथ अमृत ,
मन में भर दे
बुद्धि दायिनी ,
नव विचार दे
मात शारदे !
 
ज्ञान सुधा  की ,
घूँट पिला  दे
प्रेम भाव का ,
जलज खिला दे
नयी चेतना ,
मन में ला दे
डगमग नैया ,
लगा पार दे
मात शारदे !

भटक रहा मैं ,
दर दर ओ माँ
नवप्रकाश दे ,
तम हर  ओ माँ
नव लय  दे तू ,
नव स्वर ओ माँ
ज्ञान सुरसरी ,
प्रीत धार दे
मात शारदे !

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '