क्या बतलाऊँ ?
मुझको कितना सुख मिलता है,तेरे साथ मिलन में
क्या बतलाऊँ ?
कितनी मस्ती छाई रहती है उस पागलपन में
क्या बतलाऊँ?
होता भाव विभोर बावला सा ये मन पागल सा
तैरा करता ,साथ चाँद के ,अम्बर में बादल सा
या फिर जैसे विचरण करता है चन्दन के वन में
मतवाला ,मदमस्त ,घूमता ,ज्यों नंदन कानन में
तुम राधा सी रास रचाती ,मन के वृन्दावन में ,
क्या बतलाऊँ?
तेरी साँसे,मेरी साँसे ,टकराती आपस मे
शहनाई सी बजती मन में,हो जाता बेबस मैं
अपने आप ,यूं ही बंध जाता है बाहों का बंधन
तुम कलिका सी,और भ्रमर मैं ,हो जाता अवगुंठन
मन कितना आनंदित होता ,तेरे आलिंगन में
क्या बतलाऊँ?
मुझको कितना सुख मिलता है ,तेरे साथ मिलन में
क्या बतलाऊँ?
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मुझको कितना सुख मिलता है,तेरे साथ मिलन में
क्या बतलाऊँ ?
कितनी मस्ती छाई रहती है उस पागलपन में
क्या बतलाऊँ?
होता भाव विभोर बावला सा ये मन पागल सा
तैरा करता ,साथ चाँद के ,अम्बर में बादल सा
या फिर जैसे विचरण करता है चन्दन के वन में
मतवाला ,मदमस्त ,घूमता ,ज्यों नंदन कानन में
तुम राधा सी रास रचाती ,मन के वृन्दावन में ,
क्या बतलाऊँ?
तेरी साँसे,मेरी साँसे ,टकराती आपस मे
शहनाई सी बजती मन में,हो जाता बेबस मैं
अपने आप ,यूं ही बंध जाता है बाहों का बंधन
तुम कलिका सी,और भ्रमर मैं ,हो जाता अवगुंठन
मन कितना आनंदित होता ,तेरे आलिंगन में
क्या बतलाऊँ?
मुझको कितना सुख मिलता है ,तेरे साथ मिलन में
क्या बतलाऊँ?
मदन मोहन बाहेती'घोटू'