पर्यटन और मोक्ष
होता जोश जवानी का जब ,
रहते व्यस्त कमाइ मे हम
जब थोड़ी फुर्सत मिलती है,
तब बूढ़ा होने लगता तन
मन करता है,दुनिया देखें,
बाहर जाएँ,मन बहलायें
लेकिन साथ नहीं देता तन ,
बढ़ती जाती है पीडायें
कभी दर्द घुटनों में होता ,
कभी सांस फूला करती है
कुछ दिन घर से दूर रहो तो,
हो जाती हालत पतली है
पर मन कहता ,ईश्वर ने जो,
यह विशाल संसार रचा है
कई अजूबे,कई करिश्मे ,
अभी देखना बहुत बचा है
जब ऊपर जाएंगे ,ईश्वर,
देखेगा ,कर्मो का लेखा
पूछेगा मेरी दुनिया में,
बतला ,तूने क्या क्या देखा
देखी क्या मेरी रचनाएं,
झरने,नदियां,पहाड़ ,समंदर
यदि हम ना में उत्तर देंगें ,
वापस भेजेगा धरती पर
यदि हम बोले ,भगवन हमने ,
देखी तेरी सारी कृतियाँ
कलाकार तू अद्वितीय है,
कितनी सुन्दर ,तेरी दुनिया
हो प्रसन्न वह निज अनुपम कृती ,
स्वर्ग दिखाने को भेजेगा
मोक्ष मिलेगी,पुनर्जन्म के,
चक्कर से पीछा छूटेगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'