Thursday, December 13, 2012

जम्बू फल प्रियं

       जम्बू फल प्रियं 
( गजाननं भूतगणादी  सेवकं ,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणं ....)
 लम्बोदर है श्री  विनायक
आगे भरे थाल में  मोदक
मोदकप्रिय ,स्थूल देह है
शायद  इनको मधुमेह है
इसीलिए प्रिय फल है जामुन
जो करता है मधुमेह कम
मधुमेह उपचार कहाता
जामुन उनके  मन को भाता
      घोटू 

वकील या श्री कृष्ण

         वकील या श्री कृष्ण 

झगडा जोरू ,जमीन और ज़र का
ये  किस्सा तो है  हर घर का
भाई भाई के परिवार
जब हो आपस में लड़ने को तैयार
और किसी के मन में ये ख्याल आ जाय
भाई और रिश्तेदारों से क्यों लड़ा जाय
ऐसे में जो लडाई करने को उकसाता है 
वो या तो वकील होता है,
या श्री कृष्ण कहलाता है
        घोटू

pate ki baat


पक्षपात

      पक्षपात
जब होता है समुद्र मंथन
तो दानव और देवता गण
करते है बराबर की मेहनत
पर जब निकलता है अमृत
तो विष्णु भगवान,मोहिनी रूप धर
सिर्फ देवताओं को अमृत बाँट कर
स्पष्ट ,करते पक्षपात है
बरसों से चली आ रही ये बात है 
जो सत्ता में है,राज्य करते  है
अपने अपनों का घर भरते है
अपनों को ही ठेका और प्रमोशन
टू जी ,या कोल ब्लोक का आबंटन
देकर परंपरा निभा रहे है
तो लोग क्यों हल्ला मचा रहे है ?
          घोटू

मधुर मिलन की पहली रात

  मधुर मिलन की पहली रात

मेंहदी से तेरे हाथ रचे ,और प्यार रचा मेरे मन में
मुझको पागल सा कर डाला ,तेरी शर्मीली चितवन में
तेरे कंगन की खन खन सुन ,
                         है खनक उठी  मेरी नस नस
तेरी मादक,मदभरी महक,
                         है खींच रही मुझको बरबस 
नाज़ुक से हाथों को सहला ,
                         मन बहला नहीं,बदन दहला
हूँ विकल ,करू किस तरह पहल,
                         यह मिलन हमारा है पहला 
मन हुआ ,बावला सा अधीर,है ऐसी अगन लगी तन में
मेंहदी से तेरे हाथ रचे, और प्यार रचा मेरे   मन में
मन का मयूर है नाच रहा,
                             हो कर दीवाना  मस्ती में
तुमने निहाल कर दिया मुझे,
                               बस कर इस दिल की बस्ती में
चन्दा सा मुखड़ा दिखला दो,
                                क्यों ढका हुआ  घूंघट पट से
मतवाली ,रूप माधुरी का,
                                रसपान करूं ,अमृत घट से
सब लाज,शर्म को छोड़ छाड़ ,आओ बंध  जाये  बंधन में
मेंहदी से तेरे  हाथ रचे ,और प्यार रचा  मेरे मन   में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'