धन्यवाद- टी .वी .का
पचास साल पहले ,जो बहुएँ थी ,आज वो सास है
कल भी उदास थी ,आज भी उदास है
क्योंकि तब वो सास से डरती थी ,
और अब बहू से डरती है
तब भी घर का सब काम करती थी ,
अब भी घर का सब काम करती है
पहले पति के प्यार में,
और अब बच्चों के दुलार में ,
तब भी पिसा करती थी ,अब भी पिसा करती है
और फिर भी मुंह से ,चूं तक नहीं करती है
पर एक बात है ,पहले सास बहू ,
दोनों के बन जाते थे ,अलग अलग खेमे
और रोज हुआ करती थी,तू तू,मै मै
पर आजकल ,भले ही ,वो दोनों रहती संग है
तो भी ,उन दोनों की,तू तू,मै ,मै ,बंद है
मेरे विचार से ,इस परिवर्तन का सारा श्रेय ,
टी .वी .के सीरियलों को जाता है
जिनमे ये इतनी उलझी रहती है ,
कि एक दूसरे की टांग खींचने का ,
समय ही कहाँ मिल पाता है
हे टी .वी .महाराज ,आपका बहुत बहुत शुक्रिया है
आपने ,अधिकतर घरों में ,
सास बहू के झगड़ों को ,बहुत कम कर दिया है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पचास साल पहले ,जो बहुएँ थी ,आज वो सास है
कल भी उदास थी ,आज भी उदास है
क्योंकि तब वो सास से डरती थी ,
और अब बहू से डरती है
तब भी घर का सब काम करती थी ,
अब भी घर का सब काम करती है
पहले पति के प्यार में,
और अब बच्चों के दुलार में ,
तब भी पिसा करती थी ,अब भी पिसा करती है
और फिर भी मुंह से ,चूं तक नहीं करती है
पर एक बात है ,पहले सास बहू ,
दोनों के बन जाते थे ,अलग अलग खेमे
और रोज हुआ करती थी,तू तू,मै मै
पर आजकल ,भले ही ,वो दोनों रहती संग है
तो भी ,उन दोनों की,तू तू,मै ,मै ,बंद है
मेरे विचार से ,इस परिवर्तन का सारा श्रेय ,
टी .वी .के सीरियलों को जाता है
जिनमे ये इतनी उलझी रहती है ,
कि एक दूसरे की टांग खींचने का ,
समय ही कहाँ मिल पाता है
हे टी .वी .महाराज ,आपका बहुत बहुत शुक्रिया है
आपने ,अधिकतर घरों में ,
सास बहू के झगड़ों को ,बहुत कम कर दिया है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'