घोटू के पद
लीन्हो वोटर मोल
माई री मै तो,लीन्हो वोटर मोल
सस्तो महंगो ,कछु नहीं देख्यो,दीन तिजोरी खोल
आश्वासन को शरबत पिलवा ,मुंह में मिसरी घोल
वादों की रबड़ी चटवाई , मीठो मीठो बोल
मगर विरोधी ,दल वाले सब ,पोल रहे है खोल
टी वी पेपर वाले भी सब,रहे उडाय मखौल
चमचे सारे ,खनक रहे है,मेरी तारीफ़ बोल
'घोटू' अब वोटर की मर्जी ,जब होवेगा 'पोल '
ऊँट कौन करवट बैठेगा ,कोई सकत ना बोल
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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Wednesday, March 13, 2013
कितना सुख होता बंधन का
सुख बंधन का
कितना सुख होता बंधन का
एक दूजे के प्रति समर्पण ,प्रीत,प्यार और अपनेपन का
पानी में घिस घिस घुल कर के,लगे ईश सर,उस चन्दन का
लिपटी हुई लता से पूछो ,तरु संग कितना ,सुख जीवन का
कितना मादक ,उन्मादक सुख,भ्रमर ,पुष्प के अवगुंठन का
बादल बन ,मिल अम्बर से, फिर ,बरसे भू पर,उस जल कण का
एक बंधन को छोड़ दूसरे बंधन में बंधती दुल्हन का
कान्हा की बंसी की धुन पर ,रास रचाते ,बृन्दावन का
बृज की गली गली में अब भी,बसा प्यार राधा मोहन का
संतानों के सुख में हँसते ,दुःख में रोते ,माँ के मन का
कभी किसी से बंध कर देखो ,सुख पाओगे ,पागलपन का
कितना सुख होता बंधन का
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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