Tuesday, April 8, 2014

मिला जबसे मुझे तेरा प्यार है

         मिला जबसे मुझे तेरा प्यार है

इस तरह बदली है मेरी जिंदगी ,
                मिला जबसे मुझे तेरा प्यार है
रोज है होली,दिवाली,दशहरा ,
                हर एक दिन ही ,अब मेरा त्योंहार है
सभी मौसम अब बसन्ती हो गए,
                 बहारें ही बहारें हर  ओर है
कूकती है कोकिला हर डाल पर,
                पंछियों का,मधुर कलरव ,शोर है
हो गया हर दिन मेरा रंगीन है,
                हो गयी मदभरी ,अब हर रात है
शाम हर एक,सुरमई है सुहानी ,
                 और सुनहरी हो गयी हर प्रातः  है
चांदनी बिखरी हुई है हर तरफ,
                  हुआ इतना सुहाना संसार है
इस तरह बदली है मेरी जिंदगी ,
                   मिला जबसे मुझे तेरा प्यार है
कभी चंचल नदी सा कलकल करूं ,
                   कभी रिमझिम बरसता, बरसात सा
कभी झरने की तरह झरझर झरूँ ,
                     कभी सागर  सा उछालें   मारता
महकता हूँ हर तरफ मैं पुष्प सा ,
                      तितलियाँ है,कर रहे गुंजन भ्रमर
पाँव टिकते नहीं मेरे ज़मीं पर,
                      ऐसा लगता  उड़ रहा हूँ ,लगा, पर
समझ ना आता मुझे  है क्या हुआ ,
                      इस तरह बदला मेरा व्यवहार है
इस तरह बदली है मेरी जिंदगी ,
                    मिला मुझको ,जबसे तेरा प्यार है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'        

मोदी आया-मुसीबत लाया

           मोदी आया-मुसीबत लाया

जनता को बरगलाया ,कर मीठी मीठी बातें
सपने उन्हें दिखाए, कर लम्बे  चौड़े  वादे
जाती है बहल झट से ,जनता है बड़ी भोली
अब तक बहुत खिलाई ,हमने है मीठी गोली
मौसेरे भाई  हम सब,चांदी  भी कट रही थी
और लूट सारी अपनी ,आपस में बंट रही थी
पर जग गयी है जनता,मौसम बदल गया है
आया  है जबसे मोदी ,सब कुछ बिगड़ गया है
नेता थे दादा ,नाना,पुश्तैनी हम  है नेता
अब नेता बन रहा है,ये चाय का विक्रेता
हालत हमारी इसने,आकर के कर दी ऐसी
होने लगी है देखो,हम सब की ऐसी तैसी
ऊपर से धूमकेतु, अरविन्द  आगया  है
हाथों में लेके झाड़ू, सबकी  बजा गया है
अस्तित्व पे है खतरा ,खतरे में विरासत है
मुश्किल में सब फंसे है,हर ओर मुसीबत है
कुत्ता नया गली में ,आता तो चौंकते है
कुत्ते सभी गली के,मिल कर के भोंकते है
कुत्तों से कम से कम हम,इतना सबक तो ले लें
बाहर के दुश्मनों को ,मिल कर के सब खदेड़े
इसलिए आओ,मिल कर ,हम सब उसे दें गाली
कर देगा खड़ी खटिया ,कुर्सी जो उसने पा ली
हम साथ रहें मिल कर ,उससे नहीं डरें हम
वो जो भी बोलता है, आलोचना करें हम
इज्जत जो हमें अपनी ,थोड़ी भी है बचानी
पड़ जाए उसके पीछे ,लेकर के दाना  पानी
अस्तित्व बचाने की,हम सबको अब पडी है
हो जाएँ एक हम सब, संकट  की ये घड़ी है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'