लड्डू चालीसा
प्रस्तावना
चंदा गोल,गोल है सूरज,धरा गोल है प्यारे
इन सब की गोलाई लेकर,लड्डू देव पधारे
इनका ही प्रतिरूप मान कर,हम लड्डू को ध्यायें
एक बार फिर पेट -गुहा में,लड्डू ध्वज फहरायें
श्री लड्डू चालीसा
--दोहा-
खा चूरन पत्थर हज़म,अपनों पेट सुधार
दो दिन तक उपवास रख,यदि लड्डू से प्यार
घर जा कर जजमान के,बैठो पाँव पसार
सौ लड्डू का भोग कर,लेना मती डकार
चोपाई
---------
जय मोदक ,जय मोतिचूरा
प्यारा लगता लड्डू पूरा
सभी प्यार से तुमको खाते
खाकर तुम्हे तृप्त हो जाते
क्या क्या गाँउ गुण तुम्हारे
हो मिष्ठान बड़े ही प्यारे
पेढा,बर्फी,घेवर फीनी
तुम्हारे आगे है भीनी
रसगुल्ले ,चमचम भी चाखे
मज़ा न आया लेकिन खा के
सोहन हलवा हमने खाया
पर मनमोहन हमें न भाया
केला,आम,सेव,नारंगी
तुम्हारे आगे बेढंगी
काजू,किशमिश,सूखा मेवा
लगे न अच्छा लड्डू देवा
जब थाली में आप बिराजे
क्यों कर चीज दूसरी खाजे
महिमा अहे तुम्हारी ,न्यारी
जाऊं तुम पर मै बलिहारी
आगम निगम पुराण बखाना
लड्डू ,मिष्ठानो के मामा
श्री गणपति ,गजानन देवा
करे आपका रोज कलेवा
करे आचमन श्री भगवाना
तुम हो अति प्यारे पकवाना
ले बरात शिव चले ब्याहने
हुए इकट्ठे सभी पाहुने
नये नये पकवान बनाये
आप सभी के मन को भाये
पिता आपके श्री हलवाई
चाची है श्री चीनी माई
चंदा सूरज से चमकीले
मीठे भी हो,बड़े रसीले
गोल गोल हो पृथ्वी जैसे
करूं बखान कीरती कैसे
मोती सी है सूरत प्यारी
धन्य धन्य हो तुम अवतारी
है कितने अवतार तुम्हारे
सभी रूप में लगते प्यारे
भक्त गजानन ,मोदक रूपा
भोग करे जगती के भूपा
न्यारा रूप ,धन्य पंचधारी
मोतीचूर रूप सहकारी
बूंदी ने मिल संघ बनाया
मोतीचूर सामने आया
हर बूंदी है रस का प्याला
स्वाद आपका बड़ा निराला
बेसन,मूंग,गोंद भी प्यारा
मगद ,चासनी और कसारा
माखन मिश्री ,मोदक,मावा
देवों का हो तुम्ही चढ़ावा
धानी,रूप और अति नाना
कब तक कीरत करूं बखाना
जब भी नाम आपका आवे
मुंह में पानी भर भर जावे
चूहा दौड़ पेट में भागे
आप बड़े ही प्यारे लागे
जजमानो की तुम परसादी
होय तुम्हारे बिना न शादी
घी से खूब पौष्टिक देवा
करूं आपका रोज कलेवा
ब्राह्मन गुण गाये तुम्हारा
जय जय प्रभू,भूख संहारा
पूरी,खीर कछु ना भावे
लड्डू जब थाली में आवे
भूख शांत होवे पितरों की
इच्छा पूरी हो मितरों की
नासे भूख,चखावे मेवा
जपत निरंतर लड्डू देवा
सभी प्रेम से लड्डू खावे
भगवन उनका पेट बढ़ावे
ब्राह्मन,पंडों के रखवाले
भूख निकंदन,पेट दुलारे
पकवानों के तुम हो राजा
धन्य धन्य लड्डू महाराजा
जो ध्यावे 'लड्डू चालीसा'
भरे पेट साखी गौरीसा
'घोटू''सदा आपका चेरा
कीजे दास पेट में डेरा
--दोहा--
लड्डू चालीसा पढो,जनम जनम की टेव
मेरे भूखे पेट को, भरना लड्डू देव
इति श्री लड्डू चालीसा सम्पूर्ण
दौड़े यदि जो 'रेट 'पेट में
सबसे सुन्दर चीज भेट में
डालो कोई 'केट' पेट में
वह है लड्डू पेट 'गेट' में
प्रस्तावना
चंदा गोल,गोल है सूरज,धरा गोल है प्यारे
इन सब की गोलाई लेकर,लड्डू देव पधारे
इनका ही प्रतिरूप मान कर,हम लड्डू को ध्यायें
एक बार फिर पेट -गुहा में,लड्डू ध्वज फहरायें
श्री लड्डू चालीसा
--दोहा-
खा चूरन पत्थर हज़म,अपनों पेट सुधार
दो दिन तक उपवास रख,यदि लड्डू से प्यार
घर जा कर जजमान के,बैठो पाँव पसार
सौ लड्डू का भोग कर,लेना मती डकार
चोपाई
---------
जय मोदक ,जय मोतिचूरा
प्यारा लगता लड्डू पूरा
सभी प्यार से तुमको खाते
खाकर तुम्हे तृप्त हो जाते
क्या क्या गाँउ गुण तुम्हारे
हो मिष्ठान बड़े ही प्यारे
पेढा,बर्फी,घेवर फीनी
तुम्हारे आगे है भीनी
रसगुल्ले ,चमचम भी चाखे
मज़ा न आया लेकिन खा के
सोहन हलवा हमने खाया
पर मनमोहन हमें न भाया
केला,आम,सेव,नारंगी
तुम्हारे आगे बेढंगी
काजू,किशमिश,सूखा मेवा
लगे न अच्छा लड्डू देवा
जब थाली में आप बिराजे
क्यों कर चीज दूसरी खाजे
महिमा अहे तुम्हारी ,न्यारी
जाऊं तुम पर मै बलिहारी
आगम निगम पुराण बखाना
लड्डू ,मिष्ठानो के मामा
श्री गणपति ,गजानन देवा
करे आपका रोज कलेवा
करे आचमन श्री भगवाना
तुम हो अति प्यारे पकवाना
ले बरात शिव चले ब्याहने
हुए इकट्ठे सभी पाहुने
नये नये पकवान बनाये
आप सभी के मन को भाये
पिता आपके श्री हलवाई
चाची है श्री चीनी माई
चंदा सूरज से चमकीले
मीठे भी हो,बड़े रसीले
गोल गोल हो पृथ्वी जैसे
करूं बखान कीरती कैसे
मोती सी है सूरत प्यारी
धन्य धन्य हो तुम अवतारी
है कितने अवतार तुम्हारे
सभी रूप में लगते प्यारे
भक्त गजानन ,मोदक रूपा
भोग करे जगती के भूपा
न्यारा रूप ,धन्य पंचधारी
मोतीचूर रूप सहकारी
बूंदी ने मिल संघ बनाया
मोतीचूर सामने आया
हर बूंदी है रस का प्याला
स्वाद आपका बड़ा निराला
बेसन,मूंग,गोंद भी प्यारा
मगद ,चासनी और कसारा
माखन मिश्री ,मोदक,मावा
देवों का हो तुम्ही चढ़ावा
धानी,रूप और अति नाना
कब तक कीरत करूं बखाना
जब भी नाम आपका आवे
मुंह में पानी भर भर जावे
चूहा दौड़ पेट में भागे
आप बड़े ही प्यारे लागे
जजमानो की तुम परसादी
होय तुम्हारे बिना न शादी
घी से खूब पौष्टिक देवा
करूं आपका रोज कलेवा
ब्राह्मन गुण गाये तुम्हारा
जय जय प्रभू,भूख संहारा
पूरी,खीर कछु ना भावे
लड्डू जब थाली में आवे
भूख शांत होवे पितरों की
इच्छा पूरी हो मितरों की
नासे भूख,चखावे मेवा
जपत निरंतर लड्डू देवा
सभी प्रेम से लड्डू खावे
भगवन उनका पेट बढ़ावे
ब्राह्मन,पंडों के रखवाले
भूख निकंदन,पेट दुलारे
पकवानों के तुम हो राजा
धन्य धन्य लड्डू महाराजा
जो ध्यावे 'लड्डू चालीसा'
भरे पेट साखी गौरीसा
'घोटू''सदा आपका चेरा
कीजे दास पेट में डेरा
--दोहा--
लड्डू चालीसा पढो,जनम जनम की टेव
मेरे भूखे पेट को, भरना लड्डू देव
इति श्री लड्डू चालीसा सम्पूर्ण
दौड़े यदि जो 'रेट 'पेट में
सबसे सुन्दर चीज भेट में
डालो कोई 'केट' पेट में
वह है लड्डू पेट 'गेट' में