Thursday, April 7, 2022

सन्यास आश्रम 

हम सन्यास आश्रम की उम्र में है मगर संसार नहीं छूटता 
लाख कोशिश करते हैं मगर मोह का यह जाल नहीं टूटता 
हमारे बच्चे भी अब होने लग गए हैं सीनियर सिटीजन 
पर बांध कर रखा है हमने मोह माया का बंधन शरीर में दम नहीं है ,हाथ पैर पड़ गए है ढीले 
मगर दिल कहता है, थोड़ी जिंदगी और जी ले 
जब तलक लालसाओं का अंत नहीं होता है 
सन्यासआश्रम में होने पर भी कोई संत नहीं होता है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
ऑरेंज काउंटी के चुनाव में लड़ने वाले प्रत्याशियों से एक नम्र निवेदन 
1
 इसे ऑरेंज कहते हम मगर ताजा यह ऐपल है 
हमारी जिंदगी की यहां बसती खुशी पल-पल है 
तुम्हारी यह जवानी है ,हमारा यह बुढ़ापा है ,
 हमारे प्यारे बच्चों का सुनहरा यही तो कल है
 2
 हमारी जिंदगानी है ,हमारा प्यार है ओ सी 
 जवानी से बुढ़ापे तक का ये संसार है ओ सी 
 तुम्हें इसकी व्यवस्थायें, सभी हम सौंप तो देंगे 
करो वादा हमेशा ही ,रहे गुलजार ये ओ सी
 3
आपसी मन के भेदों को मिटाकर काम तुम करना 
भला सोसाइटी का ,इसका ऊंचा नाम तुम करना 
मोहब्बत ही मिलेगी ,जो मोहब्बत से रहोगे तुम, 
जरा से फायदे खातिर ,इसे बदनाम मत करना
 करो वादा अगर जीते ,नहीं तुम रंग बदलोगे मुस्कुरा कर के मिलने का नहीं तुम ढंग बदलोगे 
हमारा हाथ हरदम ही तुम्हारे साथ है लेकिन ,
 रहोगे साथ तुम मिलकर ,नहीं तुम संग बदलोगे

 मदन मोहन बाहेती घोटू