प्रभु कृपा
मैंने बहुत शान शौकत से ,
अभी तलक जीवन दिया है
मैंने तुझसे कुछ ना मांगा,
पर तूने भरपूर दिया है
तू तो सबका परमपिता है ,
सब बच्चों का तुझे ख्याल है
तेरे लिए बराबर सब है
और सभी से तुझे प्यार है
तरसे सदा लालची लोभी
माला माल मगर संतोषी
जिसने जो प्रवर्ती अपनाली,
उसने वह व्यवहार किया है
मैंने तुझसे कुछ ना मांगा,
पर तूने भरपूर दिया है
आज भोगते हैं हम ,फल है,
किए कर्म का पूर्व जनम में
इसीलिए सौभाग्य ,दरिद्री ,
का अंतर होता है हम में
जैसे कर्म किए हैं संचित
सुखी कोई है कोई वंचित
सत्कर्मों से झोली भर लो ,
प्रभु ने मौका तुम्हे दिया है
मैंने तुझसे कुछ ना मांगा,
पर तूने भरपूर दिया है
मदन मोहन बाहेती घोटू