बुढ़ापा
एक पैराडी
गीत -बहारों ने मेरा चमन लूट कर---
फिल्म -देवर
समय ने जवानी मेरी लूट कर ,
बुढ़ापे को अंजाम क्यों दे दिया
रिटायर मुझे काम से कर दिया ,
बिठा करके आराम क्यों दे दिया
पूरी उमर मैंने मेहनत करी ,
तब जाके आयी है ये बेहतरी
मुझे काम से कर दिया है बरी ,
और वृद्ध का नाम क्यों दे दिया
समय ने जवानी मेरी लूट कर ,
बुढ़ापे को अंजाम क्यों दे दिया
अभी भी जवानी सलामत मेरी
भली चंगी रहती है सेहत मेरी
बूढा बना, कर दी फजीयत मेरी ,
मुझे ऐसा इनाम क्यों दे दिया
समय ने जवानी मेरी लूट कर ,
बुढ़ापे का अंजाम क्यों दे दिया
अभी ज्ञान पहुंचा है मेरा चरम
समझदारी वाला हुआ आचरण
अभी दूर जीवन का अंतिम चरण
तड़फना सुबह शाम क्यों दे दिया
समय ने जवानी मेरी लूट कर ,
बुढ़ापे को अंजाम क्यों दे दिया
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
एक पैराडी
गीत -बहारों ने मेरा चमन लूट कर---
फिल्म -देवर
समय ने जवानी मेरी लूट कर ,
बुढ़ापे को अंजाम क्यों दे दिया
रिटायर मुझे काम से कर दिया ,
बिठा करके आराम क्यों दे दिया
पूरी उमर मैंने मेहनत करी ,
तब जाके आयी है ये बेहतरी
मुझे काम से कर दिया है बरी ,
और वृद्ध का नाम क्यों दे दिया
समय ने जवानी मेरी लूट कर ,
बुढ़ापे को अंजाम क्यों दे दिया
अभी भी जवानी सलामत मेरी
भली चंगी रहती है सेहत मेरी
बूढा बना, कर दी फजीयत मेरी ,
मुझे ऐसा इनाम क्यों दे दिया
समय ने जवानी मेरी लूट कर ,
बुढ़ापे का अंजाम क्यों दे दिया
अभी ज्ञान पहुंचा है मेरा चरम
समझदारी वाला हुआ आचरण
अभी दूर जीवन का अंतिम चरण
तड़फना सुबह शाम क्यों दे दिया
समय ने जवानी मेरी लूट कर ,
बुढ़ापे को अंजाम क्यों दे दिया
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '