Wednesday, December 23, 2015

जमीन से जुडी चीजें

        जमीन से जुडी चीजें

जो चीजें जमीन से जुडी हुई होती है ,
जमीन से जुड़े लोगों के बहुत काम आती है
दुःख ,तकलीफ में ,हमेशा साथ निभाती है
पेट भरती है,प्यास बुझाती है
और जमीन से ऊपर उठे हुए ,
लोग ही नहीं,वृक्ष और फूल और फल,
जो अपनी ऊंचाई के कारण बड़े इतराते है
ये भूल जाते है
कि क्योंकि उनकी जड़ें जमीन से जुडी हुई है ,
इसीलिये ही वो फूल फल पाते है
जल जीवन होता है
वह भी जमीन से जुड़ा होता है
भले ही आसमान से बरसता है 
पर पहले जमीन से जुड़ता है
और फिर दुनिया की प्यास बुझाता है
 इंसान के हर काम में ,
सुबह से शाम आता है   
जमीन से जुडी हुई सब्जियां ,
आलू और प्याज सब है
हमेशा सस्ती और सुलभ है
भले ही दालों के दाम आसमान  चढ़ जाए
भले ही मंहगाई कितनी भी जाए
गरीबो के भोजन में हमेशा साथ निभाये
जमीन से जुडी अदरक महान है
और दबी हुई लहसुन ,गुणों की खान है
और अच्छे अच्छे रईसो के,
बावर्ची खाने की शान है
जमीन से जुडी हुई हल्दी ,
न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाती है
वरन गौरी के हाथ भी पीले करवाती है
जब शरीर पर लगती है ,रूप निखार देती है
उसका जीवन संवार देती है
और जमीन से जुडी हुई मूंगफली ,
गरीबों की बादाम है
इसका अपना स्वाद है,अपनी शान है
धरती हमारी माता है
इसलिए इससे जुडी हुई चीजों में ,
मातृत्व का गुण समाता है
जमीन से जुडी हुई अधिकतर सब्जियां,
ज्यादा टिकाऊ होती है,जैसे माँ का प्यार
आलू,प्याज,अदरक,लहसुन ,आदि आते है पूरे साल
बाकी सब सब्जिया मौसमी कहलाती है 
और ऋतु के अनुसार आती जाती है 
जमीन से जुडी चाहे मूली सफेद हो या गाजर लाल है
पर सब की सब  ढेर सारे गुणों का भण्डार है
इसलिए जो लोग धरती ,
याने अपनी माँ  से जुड़े रहते है  
लोग उन्हें धरती का लाल कहते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बाप का माल

             बाप का माल

भगवान ने पहले सूर्य,चन्द्र  को बनाया ,
सुन्दर  पहाड़ों,वृक्षों और प्रकृती का सृजन किया 
नदियां बनाई ,हवाये चलाई ,
और फिर जीव ,जंतु और इंसान को जनम दिया
हमने सूरज के ताप से बिजली चुराई
हवाओं के वेग से भी बिजली बनाई
नदियों का प्रवाह से वद्युत का उत्पादन किया
प्रकृती की हर सम्पति  का दोहन किया
हम हवा से ऑक्सीजन चुराते है
तब ही तो सांस ले पाते है
धरा की छाती को छील ,अन्न उपजाते है
तब ही जीवन चलाते है
सूरज की धूप से गर्मी और रोशनी चुराते है
जमीन की रग रग में बहते पानी से प्यास बुझाते  है
प्रकृति की हर वनस्पति और फलों पर,
अपना  अधिकार रखते है
और तो और ,अन्य जीवों को भी पका कर ,
अपना पेट भरते है
हम सबसे बड़े चोर है
 और खुले  आम चोरी करते है
और उस पर तुर्रा ये ,
किसी से नहीं डरते है
और इस बात का हमारे मन में,
जरा भी नहीं मलाल है
क्योंकि हम भगवान की संतान है ,
और ये हमारे बाप का माल है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'