आशिक़ की उल्फत
इतनी ज्यादा महोब्बत ,करता मेरा मेहबूब है
निभाने का आशिक़ी ,उसका तरीका खूब है
इतना ज्यादा दीवाना वो ख्याल रखता है मेरा
रोक डाला निकलने का ,रस्ता ही उसने मेरा
चाहता है ,साथ उसके रहूँ ,हरदम , हर घड़ी
जब भी घर निकलूं, गुजरूं ,हो के ,मै उसकी गली
घोटू
इतनी ज्यादा महोब्बत ,करता मेरा मेहबूब है
निभाने का आशिक़ी ,उसका तरीका खूब है
इतना ज्यादा दीवाना वो ख्याल रखता है मेरा
रोक डाला निकलने का ,रस्ता ही उसने मेरा
चाहता है ,साथ उसके रहूँ ,हरदम , हर घड़ी
जब भी घर निकलूं, गुजरूं ,हो के ,मै उसकी गली
घोटू