मैं सुई हूँ
तीखी बातें दिल को चुभती ,मिर्च तीखी चरपरी
मगर मै तीखी बहुत हूँ,आत्म गौरव से भरी
बड़ी दुबली पतली सी हूँ,मगर मुझ में तेज है
एक तरफ से हूँ नुकीली ,एक तरफ से छेद है
साथ में लेकर के धागा ,मै फटों को टाँकती
मगर दुनिया ,नहीं मेरी ,सही कीमत आंकती
खाल मानव ओढ़ता था ,लायी हूँ मै सभ्यता
मेरी ही तो बदौलत है ,इन्सां कपड़ों से सजा
कभी इंजेक्शन में लग कर ,डालती तन में दवा
अच्छे अच्छे टायरों की,निकलती मुझसे हवा
दिखने में हूँ क्षीणकाया ,और छुई मुई हूँ
मै सुई हूँ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
तीखी बातें दिल को चुभती ,मिर्च तीखी चरपरी
मगर मै तीखी बहुत हूँ,आत्म गौरव से भरी
बड़ी दुबली पतली सी हूँ,मगर मुझ में तेज है
एक तरफ से हूँ नुकीली ,एक तरफ से छेद है
साथ में लेकर के धागा ,मै फटों को टाँकती
मगर दुनिया ,नहीं मेरी ,सही कीमत आंकती
खाल मानव ओढ़ता था ,लायी हूँ मै सभ्यता
मेरी ही तो बदौलत है ,इन्सां कपड़ों से सजा
कभी इंजेक्शन में लग कर ,डालती तन में दवा
अच्छे अच्छे टायरों की,निकलती मुझसे हवा
दिखने में हूँ क्षीणकाया ,और छुई मुई हूँ
मै सुई हूँ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'