कोई मगरूर हो जाये
किसी नादान की बीबी,अगर जो हूर हो जाए
पा माला मोतियों की ,बावला,लंगूर हो जाए
मिले चूहे को चिन्दी ,और वो बजाज बन बैठे ,
बड़ा समझे बहुत खुदको,नशे में चूर हो जाए
संभाले न संभल पाए ,खुदा की मेहरबानी जब ,
मिले तक़दीर से कुर्सी तो वो मगरूर हो जाए
मेंढकी मारी ना जाती और तीरंदाज बन बैठे,
दिखाए खोखली ताक़त ,बड़ा ही शूर हो जाए
करे वो बेतुकी बातें और हरकत पागलों जैसी ,
इसतरहअपनीआदत से जो वो मजबूर हो जाए
जरूरी है दवाई और मलहम उसके घावों पर ,
कहीं ऐसा न हो एकदिन ,वो बढ़ नासूर हो जाए
अगर लगाम जो उस पर,समय पर ना लगाईं तो,
बहुत मुमकिन हैअपनों से,वो इकदिन दूर हो जाए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'