Monday, March 31, 2014

मेरे मन की भी सुन लेते

       मेरे मन की भी सुन लेते

तुमने जो भी किया ,किया बस,जो आया तुम्हारे मन में ,
अपने मन की सुनी ,कभी तो,मेरे मन की भी सुन लेते

जब हम तुम थे मिले,मिल गए ,बिन सोचे और बिना विचारे
 तब तुम तुम थे ,और मैं ,मैं थी,अलग अलग व्यक्तित्व हमारे
शायद ये विधि का लेखा था , किस्मत से मिल गए ,आप,हम
तुम गंगा थे,मैं जमुना  थी, किन्तु हुआ जब अपना  संगम
 हम मिल कर एक सार हो गए ,दोनों  गंगा धार हो गए ,
 अपना ही वर्चस्व जमाया ,जमुना के भी कुछ गुन लेते
अपने मन की सुनी ,कभी तो ,मेरे मन की भी सुन लेते
ये सच है कि हम तुम मिल कर, विस्तृत और विराट हो गए               
कितनो को ही साथ मिलाया , चौड़े  अपने  पाट  हो गए
मैं अपने  बचपन की यादें,राधा और कान्हा  की बातें
वृन्दावन में छोड़ आ गयी ,तुम संग भागी ,हँसते ,गाते
पकड़ तुम्हारी ऊँगली तुम संग, चली जहां तुम मुझे ले गए,
मिलना था खारे सागर से ,किसी और का संग  चुन लेते
अपने मन की सुनी कभी तो,मेरे मन की भी सुन लेते

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

प्यार और बीमारी

         प्यार और बीमारी

दे मीठी मीठी पप्पियाँ ,बचपन से आजतक,
                      लोगों ने मेरे खून में मिठास बढ़ाया
तेजी से इतनी तरक्की की चढ़ी सीढ़ियां ,
                      धड़कन ने बढ़ कर, खून का दबाब बढ़ाया
उनसे मिलन की चाह में ,ऐसा जला बदन,
                       लोगों को लगा ,हमको है बुखार हो गया
 जबसे है उनके साथ  हमने  नज़रें  लड़ाई ,
                        ऐसी लड़ी  लड़ाई है कि प्यार हो गया
यूं देखते ही देखते ,दिल का सुकून गया ,
                        हम सो न पाते ,रात की नींदें है उड़ गयी
रहते हैं खोये खोये हम उनके ख़याल में ,
                        जोड़ी हमारी ,जब से उनके साथ जुड़ गयी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
                       

सच्चा प्यार

          सच्चा प्यार

कहा गदहे ने गदही से ,उठा कर प्यार से टांगें,
 तेरे चेहरे में ,मुझको ,चाँद का  दीदार होता है
तेरी आहट भी होती है ,महक जाती मेरी दुनिया ,
गदही  बोली ये होता है जब सच्चा प्यार होता है
ढेर से कपड़ों का बोझ ,दिया जब लाद  धोबी ने ,
वो बोली क्यों हमारे साथ ये हर बार होता है
हमारे प्यार में हरदम अड़ंगे डालता  रहता ,
बड़ा बेरहम ,जालिम कितना ये संसार होता है
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'



राज़ की बात

         राज़ की बात

मैं अपनी बीबी की जब खामियां उनको बताता हूँ,
              वो कहती है पसंद कर ,आप ही तो मुझको लाये थे
देखने आये थे जब मुझको अपने मम्मी पापा संग ,
               देख कर हमको कितने खुश हुए थे,मुस्कराये थे
कहा हमने कि बेगम , राज़ की एक बात  बतलायें ,
                तुम्हारी मम्मी के जलवे ,पसंद पापा को आये  थे
और ये सोच करके कि मज़ा समधन का लूटेंगे ,
                 उन्होंने 'हाँ' करी और ,हम तेरे    चंगुल  में आये थे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'