Wednesday, October 30, 2019

कुछ इधर की ,कुछ उधर की


कुछ इधर की,कुछ उधर की
बात  सारी ,दुनिया भर की
बहुत कुछ है  पोटली में ,
बंधा जीवन के सफर की

प्यार की कुछ मधुर बातें
विरह की दुखभरी  रातें
ठोकरों का है अनुभव
कुछ पुराना और कुछ नव
साथ देते मित्र थोड़े
खड़े  करते कोई रोड़े
मुश्किलें सारी डगर की
कुछ इधर की कुछ उधर की

सामाजिक कितने ही बंधन
कभी खुशियां ,कभी क्रंदन
माँ बहन और प्रिया वाले
रूप नारी के निराले
कभी कलकल ,कभी बादल
रूप कितने बदलता जल
बाढ़ की और समंदर की
कुछ इधर की ,कुछ उधर की

घोटू 
दीपावली पूजन -गणेश लक्ष्मी सरस्वतीजी का आव्हान

गणेश जी

मुझे सुख समृद्धि ,दे दो,तुम  विनायक
घर में रिद्धि सिद्धि दे दो ,तुम विनायक
दो मुझे  शुभ लाभ का वरदान भगवन ,
ज्ञान ,अच्छी बुद्धि दे दो ,तुम विनायक

सरस्वती जी

मुझे  नवलय ,नये स्वर दो ,सरस्वती माँ
बुद्धि का भण्डार भर दो ,सरस्वती माँ
है तमसमय पथ ,उसे ज्योतिर्मयी कर ,
ज्ञान का उजियार भर दो,सरस्वती माँ

लक्ष्मी जी

भाग्य दीपक जला मेरा  ,लक्ष्मी माँ
मेरे घर में डाल डेरा , लक्ष्मी माँ
स्वर्ण ,रत्नों की चमक से जगमगा दे ,
दूर कर घर का अँधेरा ,लक्ष्मी माँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
लक्ष्मी पूजन और आतिशबाजी

उन्होंने वायु प्रदूषण से बचने लिए,
 मुंह पर 'मास्क 'बाँध रखा था ,
ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए ,
कानो में 'इयर प्लग ' थे
पर धार्मिक परम्पराओं को निभाने के ,
उनके ख्यालात गजब थे
वातावरण, बिगड़े तो बिगड़े
प्रदूषण ,बड़े तो बड़े
पर हम आतिशबाजी जलाने की ,
जिद पर रहेंगे अड़े
हमें अपनी परम्पराये ,
निभानी तो निभानी ही है
लक्ष्मी पूजन के बाद ,आतिशबाजी ,
जलानी तो जलानी ही है ,
मोमबत्ती हाथ में ले ,
आतिशबाजी में आग लगाते थे
और डर  के मारे दूर भाग जाते थे
क्योंकि वो आग और धुवें से घबराते थे
जाने क्यों उनकी समझ में ,
ये बात नहीं थी आती
जिस तरह आतिशबाजी के डर से
वो दूर भाग जाते है
उसी तरह इस शोर शराबे से डर कर ,
आती हुई लक्ष्मी जी भी है भाग जाती

घोटू