Friday, July 15, 2011

पेट्रोलपंप का उदघाटन

पेट्रोलपंप का उदघाटन
---------------------------
एक पेट्रोल पम्प  का उदघाटन कर
नेताजी ने पूछा,
पम्प  के मालिक को,एक तरफ ले जाकर
भैये,सच सच बतलाना
हमसे  न छुपाना
इस जगह,जमीन से पेट्रोल निकलेगा,
ये तुमने कैसे जाना?,

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

भ्रमर,तितलियाँ और मधुमख्खी

भ्रमर,तितलियाँ और मधुमख्खी
--------------------------------------
खिले पुष्प पर गुंजन करता काला भंवरा
रस पाता है ,उड़ जाता है
तितली भी तो मंडराती है
रस पीती है ,इठलाती है
लेकिन जब उन्ही पुष्पों पर,
मधुमख्खी है आती जाती
घूँट घूँट कर,रस भर लेती,
और संचय हित,
अपने छत्ते में ले जाती
भ्रमर,तितलियाँ और मधुमख्खी,
तीनो ही हैं रस के प्रेमी,
किन्तु प्रवृत्ति भिन्न भिन्न है
भ्रमर प्रेमी सा,रस का लोभी,
रस पाता है,उड़ जाता है
और तितलियाँ,आधुनिका सी,
पुष्पों पर चढ़ इठलाती है
किन्तु सुगढ़ गृहणी के जैसी है मधुमख्खी,
रस भी चखती,और बचा कर,
संगृह भी करती जाती है

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

अबके सावन में

अबके   सावन में
---------------------
इन होटों पर गीत न आये, अबके सावन में
बारिश में हम भीग न पाए,अबके सावन में
अबके बस पानी ही बरसा,थी कोरी बरसात
रिमझिम में सरगम होती थी,था जब तेरा साथ
व्रत का अमृत बरसाती थी,जो हम पर हर साल,
वो हरियाली तीज न आये,अबके सावन में
तुम्हारी प्यारी अलकों का,था मेघों सा रंग
तड़ित रेख सा,दन्त लड़ी का,मुस्काने का ढंग
घुमड़ घुमड़ कर काले बादल ,छाये  कितनी बार
पर वो बादल रीत न पाये,अबके सावन में
पहली बार चुभी है तन पर,पानी की फुहार
जीवन के सावन में सूखे,है हम पहली बार
सूखा सूखा  ,भीगा मौसम,सूनी सूनी शाम,
उचट उचट कर नींद न आये,अबके सावन में

मदन मोहन बहेती'घोटू'