Tuesday, May 23, 2017

आधार कार्ड 

मेरी आँखों की पुतली में वास तुम्हारा 
मेरे हाथों के पोरों पर  छाप   तुम्हारा 
तुम बिन मेरी कोई भी पहचान नहीं है 
बिना तुम्हारे ,होता कुछ भी काम नहीं है 
तुम ही मेरा संबल हो और तुम्ही सहारा 
मैं ,मैं तब हूँ ,जब तक कि है संग तुम्हारा
रहते मेरे साथ हमेशा ,यत्र तत्र हो  
तुम मेरे आधार कार्ड,पहचानपत्र हो 

घोटू  
दोहे 
१ 
सीख गर्भ से आ रही,कम्प्यूटर का ज्ञान 
अभिमन्यु सी हो रही,पैदा अब संतान 
२ 
लिए झुनझुना खेलना ,हुई पुरानी बात 
अब है बच्चे खेलते ,मोबाइल ले हाथ 
३ 
घर घर में ऐसी हुइ,कंप्यूटर की पैठ 
ए बी,सी डी हो गया ,गूगल,इंटरनेट 
४ 
पोती से दादी कहे ,हमको दो समझाय 
व्हाट्सएप पर संदेशे, ,कैसे भेजे जाय 
टीचर से बढ़ कर गुरु ,गूगल ,गुरुघंटाल 
सेकंडों में हल करे, सारे प्रश्न,सवाल 

घोटू 
कबूतर कथा 

जोड़ा एक कबूतर का ,कल ,दिखा ,देरहा मुझको गाली 
क्यों कर मेरी 'इश्कगाह ' पर ,तुमने लगवा  दी  है जाली 
प्रेम कर रहे दो प्रेमी पर  ,काहे को  प्रतिबंध  लगाया 
मिलनराह  में वाधा डाली ,युगल प्रेमियों को तडफाया 
बालकनी के एक कोने में , बैठ गुटर गूँ  कर लेते थे 
कभी फड़फड़ा पंख,प्यार करते,तुम्हारा क्या लेते थे 
मैंने कहा कबूतर भाई ,मैं भी हूँ एक प्रेम  पुजारी 
मुझको भी अच्छी लगती थी ,सदा प्रेम लीला तुम्हारी 
लेकिन जब तुम,हर चौथे दिन ,नयी संगिनी ले आते थे 
उसके संग तुम मौज मनाते ,पर मेरा दिल तड़फाते थे 
क्योंकि युगों से मेरे जीवन में बस एक कबूतरनी  है 
जिसके साथ जिंदगी सारी ,मुझको यूं ही बसर करनी है 
तुम्हे देखता मज़ा उठाते,अपना साथी बदल बदल कर 
मेरे दिल पर सांप लौटते,तुम्हारी किस्मत से जल कर 
मुझको बड़ा रश्क़ होता था ,देख देख किस्मत तुम्हारी 
रोज रोज की घुटन ,जलन ये देख न मुझसे गयी संभाली 
और फिर धीरे धीरे  तुमने ,जमा लिया कुछ अड्डा ऐसा 
तुमने मेरी बालकनी को ,बना दिया प्रसूतिगृह जैसा 
रोज गंदगी इतनी करते ,परेशान होती  घरवाली 
इसीलिए इनसे बचने को ,मैंने लगवा ली है जाली 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
क्षणिकाएं 
१ 
वो अपनी हठधर्मी को अनुशासन कहते है 
उनके लगाए प्रतिबंध ,उनके सिद्धांत रहते है 
हमारा अपनी मर्जी से जीना ,कहलाता उच्श्रृंखलता है 
ये हमे खलता है 
२ 
इसे आत्मनिर्भरता कहे या स्वार्थ ,
या अपना हाथ,जगन्नाथ 
बिना दुसरे की सहायता के ,
जब अपनी तस्वीरें ,
अपनी मरजी मुताबिक़ खींची जाती है 
'सेल्फी' कहलाती है 
३ 
समय है ,सबसे बड़ा 'कोरियोग्राफर'
जो सबको नचाता है,अपने इशारों पर 
४ 
गुस्से सी ,समंदर की लहरें ,
जब उमड़ती हुई आती है 
किनारे पर ,शांत पड़ी हुई ,
सारी अच्छाइयों को भी ,बहा ले जाती है 

घोटू 
आ जाया करो 

जो हमसे मिन्नतें करते थे कि रोज रोज आ जाया करो 
और बैठ हमारे पहलू में ,तुम देर तलक ना जाया करो 
इतने बदले.,अब मिलते तो ,कहते जो कहना ,जल्द कहो ,
हम काम में हैं मशगूल बहुत,तुम वक़्त यूं ही ना ज़ाया करो 

घोटू 
                   दो दो मायें 

हर एक के जीवन में दो माँ,एक कुदरती,एक कानूनी 
शादी बाद 'मदर इन लॉ 'मिल,कर देती है खुशियां दूनी
 
जन्मदायिनी माँ का तो दिल,हरदम भरा प्यार से रहता 
जीवनसाथी की माँ में भी,झरना सदा प्यार का बहता 
माँ और सासू माँ , दोनों  बिन,लगे जिंदगी सूनी सूनी 
हर एक के जीवन में दो माँ,एक कुदरती,एक कानूनी
 
दे दामाद ख़ुशी बेटी को, सासू माँ का प्यार उमड़ता 
पोता दे और वंश बढ़ाये ,सास बहू रिश्ता, रंग चढ़ता 
एक दूजे के प्रति दोनों में ,होती प्रीत,मगर अंदरूनी 
हर एक के जीवन में दो माँ ,एक कुदरती,एक कानूनी
 
पति पत्नी का,एक दूजे की ,माँ के संग संबंध  निराला 
अगर मिले मन,स्वर्ग बने घर,नहीं मिले तो गड़बड़झाला 
इन दोनों की नोक झोंक  बिन ,लगे जिंदगी बड़ी  अलूनी 
हर एक के जीवन में दो माँ,एक कुदरती,एक कानूनी 

मदनमोहन बाहेती'घोटू'