तब और अब
जितना प्यार कभी होता था उतने झगड़े तब होते थे अब तो मतलब से होते हैं ,पहले बेमतलब होते थे
एक जमाना था तू और मैं ,मिल करके हम होते थे
सर्दी गर्मी हो या बारिश, रंगीले मौसम होते थे
तेरी छुअन सिहरन देती ,तेरी सांसे देती धड़कन
तेरी बातें मीठा अमृत ,तेरी खुशबू चंदन चंदन
बादल से लहराते गेसू, तेरे बड़े गजब होते थे
जितना प्यार कभी होता था उतने झगड़े तब होते थे
भले जवान हो गई थी तू,मगर बचपना नहीं गया था पियामिलन चाव और वह आकर्षणभी नयानया था
बात बात पर तू तू मैं मैं ,हां थी कभी तो कभी ना थी नखरेनाज दिखाती रहती,मुझे सताती तू कितना थी
तू बारिश में भीग नाचती, तेरे शोक अजब होते थे जितना प्यार कभी होता था उतने झगड़े तब होते थे
धीरे-धीरे समझदार तू और थोड़ा परिपक्व हो गई
बच्चों और घर की चिंता ही तेरे लिए महत्व हो गई तेरा प्यार ध्यान पाने में ,पहले होता मैं नंबर वन
अब मेरा चौथा नंबर है, सूखे सूखे ,भादौ, सावन
याद आते चुंबन बरसाते, तेरे प्यार लब होतेथे
जितना प्यार कभी होता था उतने झगड़े तब होतेथे
मदन मोहन बाहेती घोटू