Thursday, November 21, 2013

माँ बीमार है
दिल थोडा कमजोर हो गया,घबराता है
थोडा सा भी खाने से जी मचलाता  है
आधी से भी आधी रोटी खा पाती है
अस्पताल का नाम लिया तो घबराती है
साँस फूलने लगती जब कुछ चल लेती है
टीवी पर ही कथा भागवत सुन लेती है
जी घबराता रहता है ,आता बुखार है
माँ बीमार है
प्रात उठ स्नान ध्यान पूजन आराधन
गीताजी का पठन, आरती, भजन कीर्तन
फिर कुछ खाना,ये ही दिनचर्या होती थी
और रात को हाथ सुमरनी ले सोती थी
ये दिनचर्या बीमारी में छूट गयी है
कमजोरी के कारण थोड़ी टूट गयी है
बीमारी की लाचारी से बेक़रार है
माँ बीमार है
फ़ोन किसी का आता है,खुश हो जाती है
कोई मिलने आता है,खुश हो जाती है
याद पुरानी आती है,गुमसुम हो जाती
बहुत पुरानी बाते खुश हो होकर बतलाती
अपना गाँव मकान , मोहल्ला याद आते है
पर ये तो हो गयी पुरानी सी बाते है
एक बार फिर जाय वहां ,मन बेक़रार है
माँ बीमार है
बचपन में मै जब रोता था,माँ जगती थी
बिस्तर जब गीला होता था,माँ जगती थी
करती दिन भर काम  ,रात को थक जाती थी
दर्द हमें होता था और माँ जग जाती थी
अब जगती है,नींद न आती ,तन जर्जर  है
फिर भी सबके लिए काम , करने तत्पर है
ये ममता ही तो है ,माँ का अमिट प्यार है
माँ बीमार है
उसके बोये हुए वृक्ष फल फूल रहे है
सभी याद रखते है पर कुछ भूल रहे है
सबसे मिलने ,बाते करने का मन करता
देखा उसकी आँखों में संतोष झलकता
और जब सब मिलते है तो हरषा करती है
सब पर आशीर्वादो की बर्षा करती है
अपने बोये सब पोधों से उसे प्यार है
माँ बीमार है
यही प्रार्थना हम करते हैं हे इश्वर
उनका साया बना रहे हम सबके ऊपर
जल्दी से वो ठीक हो जाये पहले जैसी
प्यार,डांट  फटकार लगाये पहले जैसी
फिर से वो मुस्काए स्वर्ण दन्त चमका कर
हमें खिलाये बेसन चक्की स्वम बना कर
प्रभु से सबकी यही प्रार्थना बार बार है
माँ बीमार है

शहनाइयां और बेंड

     शहनाइयां और बेंड

पहले ,जब होती थी शादियां
तब बजा करती थी शहनाइयां
और शादीशुदा जिंदगी में जीवनभर
गूंजते थे ,शहनाई के मधुर स्वर
पर, आजकल ,शादियों में,
 बेंड बजा करता है
और आदमी का जीवन भर
बेंड बजा करता है
घोटू

अंगरेजी -क्षणिकाए

     अंगरेजी -क्षणिकाए
                  १
      अंग्रेजी चक्कर
अंगरेजी चक्कर में,
संस्कार 'फेड'हुए
जीवित माँ ,बनी 'ममी '
पिताजी 'डेड'हुए
              २ 
            हाय
पड़ोसी लड़के से ,
हाय,हाय करती लड़की ,
प्यार में इतना पगलाई ,
उसके संग भग गयी
घरवाले बोले ,
हाय,हमारी बेटी को ,
किसकी हाय लग गयी
                ३
          पॉटी
अंगरेजी परिपाटी
पॉट पर बैठ कर ,करो तो 'पॉटी  '
मगर आजकल देशी लोग ,
जो लोठा ले जंगल जाते है
उसे भी 'पॉटी 'बतलाते है
                ४
             बाथरूम 
छोटा बच्चा चिल्लाया
मम्मी ,बाथरूम आया
बाथरूम अचल था
बच्चा बेकल था
मम्मी आयी और हुई लालपीली थी
बच्चे की चड्डी गीली थी
                ५
         परमोशन
एक पड़ोसन से बोली ,दूसरी पड़ोसन
आज तुम्हारे पति  जी ,हैं घर पर
क्या बीमार  है,गए नहीं दफ्तर
पड़ोसन बोली, नहीं ,कोई खास बात नहीं,
तबियत तो है ठीक,हुए है,पर 'मोशन '
दूसरी बोली ,मिठाई खिलाओ ,
मुबारक हो पति जी का परमोशन
                   ६
       लेट आउंगा
मातहत ने साहब को फोन किया ,
आज ट्रेन से आरहे है बच्चे ,बीबी साथ ,
मै ज़रा लेट आउंगा
अगर आपकी परमोशन पाउँगा
साहब ने जबाब दिया गुस्से में  थे 
अगर लेटना ही है ,
तो छुट्टी क्यों नहीं ले लेते 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

विवाह -क्षणिकाएं

          विवाह -क्षणिकाएं
                      १
      चूड़ियाँ
उनके प्यार का स्क्रू ,
एक एक चूड़ी ,चढ़,
दिल पर चढ़ गया ,
एक दम टाइट हो है
उनके हाथों में ,
नौ नौ चूड़ियाँ जो है
                 २
      अंगूठी
'रिंग सेरेमनी '
ये प्रथा है अनूठी
शादी के रिश्ते को,
'ओ'रिंग 'की तरह
'सील' करके रखती है,
सगाई की अंगूठी
                    ३
    वरमाला
वर ने वधू  को,वरमाला पहना दी
क्योकि फूलों की थी ,
वधू  ने ,वैसी ही ,दूसरी लौटा दी
अबकी बार वर ने,
वधु के गले में ,
सोने का मंगलसूत्र डाल दिया 
सोने को देख वधू  ने
यह प्रक्रिया नहीं दुहराई ,
इस तरह सोने ने ,
दोनों को एक सूत्र से बाँध दिया
              ४
        सोचो ,समझो और करो
एक विवाह के अवसर पर
एक बुजुर्ग बाँट रहे थे ,एक पुस्तक ,मित्रवरों!
'सोचो,समझोऔर करो,
                 ५
         खरबूजा
प्यार किया उसने
या प्यार किया तुमने ,
एक समझदार ने ये बूझा
कटा तो खरबूजा
                 ६
         अंदाज
समझदार लड़के
पहले लड़की का मुंह नहीं ,
पैर देखते है झुक के
लोग समझते है शरमीले है,
पर उनका अंदाज है जुदा
पैरों की  उँगलियों में ,बिछुवा को देख कर ,
पहले ही जान लेते है ,
कंवारी है या शादीशुदा
                 ७
             मांग
एक समझदार,
 कंवारी लड़की ने
रचाया ये  स्वांग
भरली अपनी मांग
मन में ये विचार के
शादीशुदा पर लड़के ,
लाइन नहीं मारते

मदन मोहन बाहेती'घोटू '