हम मुफ्तखोर है
१
सूरज की धूप हमें ,मुफ्त मिले दिनभर ही ,
और रात मुफ्त मिले ,चांदनी सुहानी है
मुफ्त हवा के झोंको की ठंडक मिलती है ,
मुफ्त में ही बादल भी ,बरसाते पानी है
मज़ा स्वाद खुशबू का ,मुफ्त लिया करते हम ,
पकती पड़ोसी के घर जब बिरयानी है
मुफ्त खुशबुएँ लेते,खिले पुष्प,कलियों की,
हमें मुफ्तखोरी की ,आदत पुरानी है
२
मुफ्त हुस्न सड़कों पर ,खुला खुला दिखता है,
और मुफ्त में ही हम ,आँख सेक लेते है
नए नए फैशन का ,मुफ्त ज्ञान हो जाता ,
जहाँ मिले परसादी ,माथ टेक लेते है
मुफ्त रोटी लंगर की ,बड़ी स्वाद लगती है,
मुफ्त मिले दारू तो ,छक कर पी लेते है
मुफ्त में कंप्यूटर , बिजली और पानी का ,
वादा जो करता , हम वोट उसे देते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
१
सूरज की धूप हमें ,मुफ्त मिले दिनभर ही ,
और रात मुफ्त मिले ,चांदनी सुहानी है
मुफ्त हवा के झोंको की ठंडक मिलती है ,
मुफ्त में ही बादल भी ,बरसाते पानी है
मज़ा स्वाद खुशबू का ,मुफ्त लिया करते हम ,
पकती पड़ोसी के घर जब बिरयानी है
मुफ्त खुशबुएँ लेते,खिले पुष्प,कलियों की,
हमें मुफ्तखोरी की ,आदत पुरानी है
२
मुफ्त हुस्न सड़कों पर ,खुला खुला दिखता है,
और मुफ्त में ही हम ,आँख सेक लेते है
नए नए फैशन का ,मुफ्त ज्ञान हो जाता ,
जहाँ मिले परसादी ,माथ टेक लेते है
मुफ्त रोटी लंगर की ,बड़ी स्वाद लगती है,
मुफ्त मिले दारू तो ,छक कर पी लेते है
मुफ्त में कंप्यूटर , बिजली और पानी का ,
वादा जो करता , हम वोट उसे देते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'