गुलाब गाथा
कंटकों से भरी टहनी है ये दुनिया,
और जीवन फूल एक गुलाब का है
diरंग सुन्दर,बदन खुशबू से भरा है,
दिया तोहफा ,खुदा ने,नायाब सा है
डाल पर यदि रहोगे यूं ही अकड़ कर,
पंखुडियां बन,बिखर जाओगे धरा पर
अगर जीवन को सफल है जो बनाना,
जियो जीवन तुम किसी के काम आकर
महक जायेगी तुम्हारी जिंदगानी,
किसी का महकाओ जीवन मुस्करा कर
कोई प्रेमी प्रेम से अभिभूत होगा ,
प्रेमिका के केश में तुमको सजा कर
गए गुंथ जो यदि किसी वरमाल में तुम,
बनोगे बंधन किसी के नेह का तुम
अगर बिखरोगे मिलन की सेज पर तुम,
पाओगे स्पर्श पागल देह का तुम
कभी अपने भाग्य पर इठलाओगे तुम,
बन सजावट किसी के गुलदान की तुम
या कि सज सकते हो गुलदस्ते में कोई,
दास्ताँ बन कर किसी पहचान कि तुम
नियति में यदि तुम्हारे जो ये लिखा है,
सुगंधी कोई बदन रस चूंस लेगा
कोई तुम को शर्करा मीठी खिला के,
धूप में रख कर बना गुलकंद देगा
धन्य जीवन तुम्हारा हो जाएगा यदि,
देव चरणों में हुआ अर्पण तुम्हारा
है क्षणिक जीवन सभी का जिस तरह से,
जाएगा कुम्हला कभी भी तन तुम्हारा
कभी केशव पर चढोगे ,कभी शव पर,
कभी वैभव में कभी श्रृगार में तुम
जिंदगी के रंग सारे देख लोगे,
जीत जाओगे कभी गुंथ हार में तुम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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Friday, April 13, 2012
तुमने जो सहला दिया है
तुमने जो सहला दिया है
तुमने जो सहला दिया है
मन मेरा बहला दिया है
जरा से ही इशारे में,
बहुत कुछ कहला दिया है
तुम्हारी प्यारी छुवन ने
लगा दी है आग तन में
एक नशा सा छागया है
और मन पगला गया है
जब तुम्हारी सांस महके
जब तुम्हारे होंठ दहके
तुम्हारी कातिल अदायें
तरंगें मन में जगायें
कामनाएं बलवती है
सांस की दूनी गति है
घुमड़ कर घन छा गए है
ह्रदय को तडफा गए है
तुम्हे अब क्या बताएं हम
बड़ा ही बेचैन है मन
अगर बारिश आएगी ना
प्यास ये बुझ पायेगी ना
तुम्हारी इन शोखियों ने,
ह्रदय को दहला दिया है
तुमने जो सहला दिया है
मन मेरा बहला दिया है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
तुमने जो सहला दिया है
मन मेरा बहला दिया है
जरा से ही इशारे में,
बहुत कुछ कहला दिया है
तुम्हारी प्यारी छुवन ने
लगा दी है आग तन में
एक नशा सा छागया है
और मन पगला गया है
जब तुम्हारी सांस महके
जब तुम्हारे होंठ दहके
तुम्हारी कातिल अदायें
तरंगें मन में जगायें
कामनाएं बलवती है
सांस की दूनी गति है
घुमड़ कर घन छा गए है
ह्रदय को तडफा गए है
तुम्हे अब क्या बताएं हम
बड़ा ही बेचैन है मन
अगर बारिश आएगी ना
प्यास ये बुझ पायेगी ना
तुम्हारी इन शोखियों ने,
ह्रदय को दहला दिया है
तुमने जो सहला दिया है
मन मेरा बहला दिया है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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