Sunday, March 24, 2013

होली मनाइये -मुंह तो मीठा करते जाइये

      होली मनाइये -मुंह तो मीठा करते जाइये

देसी घी में गुलाबी गुलाबी तले ,
भुने हुये खोवा और मेवे से भरे ,
खस्ता और चासनी से पगे
स्वादिष्ट होली के गूंझिये आपने चखे
बतलाइये आपको कैसे लगे?
चंद्रकला,लवंगलता और बालूशाही ,
क्या आपने खायी?
सुन्दर स्वादिष्ट रबड़ी के लच्छे 
कभी ऊँगली से चाट कर तो देखो,
लगेंगे बड़े अच्छे
अमृत की तरह इमरती ,या जलेबी का जलवा
मूंग की दाल का या गाजर का हलवा
रसीले रसगुल्ले या गरम गरम गुलाबजामुन
सब के सब मोह लेंगे आपका मन
इन सब देसी मिठाइयों का स्वाद
एक बार खा कर तो देखो,
रहेगा उमर भर याद
कहाँ आप मैदे की बेक की गयी जालीदार , 
और फुसफुसे क्रीम से सजाई हुई,
केक को देख ,मुग्ध हो रहे हो
इन विदेशी मिठाइयों के मोह में खो रहे हो
पता नहीं ,कुछ लोगों को ,
ये क्यों इतना भाती  है
ज़रा सा हाथ से पकड़ो ,पिचक जाती है
थोड़ी सी भी गर्मी हो,पिघल जाती है
इतनी नाजुक है कि दूकान से घर लाने में ही ,
इनका हुलिया बिगड़ जाता  है  
अलग अलग रंग और खुशबू की बनती है ,
पर स्वाद हमेशा एक सा ही आता है
और देशी मिठाइयों का,
अलग अलग स्वाद और अलग अलग लज्जत
बस एक बार प्यार से खाओगे ,
तो कर बैठोगे  मोहब्बत
बस पहले 'क्लोरोस्ट्रल 'और'डायिबिटीज'के,
भूत के डर को भगाना होगा
और चटकारे ले ले कर खाना  होगा
बस एक बार चखोगे
उमर भर याद रखोगे 
क्योंकि देसी हो या विदेशी ,
बिना घी और शक्कर के ,
मिठाई,मिठाई नहीं बनती
और खाने में ,मिठाई खाये बिना,
 तृप्ति नहीं मिलती   
इन देसी मिठाइयों का तो नाम सुन कर ही,
मुंह में भर जाता है पानी
अरे भाई  साहेब ,होली का त्योंहार है,
आज तो आपको ,मिठाई पड़ेगी ही खानी
होली मुबारक

मदन मोहन बाहेती'घोटू'