Friday, March 28, 2014

अब हाशिये पे हम

            अब हाशिये पे हम

अब क्या सुनाएँ आपको ,अपनी कहानी हम
आँखें न कहीं आपकी ,हो जाए सुन के नम
बचपने में बड़े भोले और  मासूम से थे हम
आयी जवानी ,शोखियों का ,था गजब आलम
आया है मगर जब से ,बुढ़ापे का ये मौसम
ना तो इधर के ही रहे और ना उधर के हम
लड़ते ही रहे जमाने से जब तलक था दम
देखें है हमने हर तरह के बदलते  मौसम
कुछ इस कदर से ,बुढ़ापे ने ढायें है सितम  
सचमुच परेशां ,अपनोकी ही बेरुखी से हम
और लिखते लिखते जिंदगी की दास्ताने गम
पन्ना है पूरा भर गया अब  हाशिये पे हम

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

आज अगर जो तुम मिल जाते …

        आज अगर जो तुम मिल जाते   …

आज अगर जो तुम मिल  जाते ,दिल मेरा खिल जाता
होती दूर वेदना दिल को ,कुछ सुकून मिल जाता
शीतल मस्त पवन के झोंके से आ मुझसे मिलते ,
तप्त ह्रदय बेचैन बहुत था ,कुछ तो राहत   पाता
               हम पागल से इंतजारमें ,बैठे पलक बिछाए
               लेकिन तुमको ना आना था ,और नहीं तुम आये
               इतने बेदर्दी निकलोगे ,ये विश्वास नहीं था ,
                प्रीत लगा कर ,तुमसे प्रीतम,हम कितने पछताए 
ना तो होली,ना दीवाली,ना बसंत ना सरदी
हर मौसम में याद तुम्हारी ,आई मुझे बेदरदी
इतनी अगर आरजू करती ,ईश्वर भी मिल जाता,
पर तुमने तो बेगानेपन की ,सचमुच हद करदी
               बहुत दिनों से तरस रही हूँ,पर अब मत तरसाओ
                अब गरमी का मौसम आया,प्रीतम तुम आ जाओ
                विरह ताप से सूख रही है,प्रेमलता  दीवानी ,
               बन  कर प्यार फुहार बरस कर अब इसको सरसाओ 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

दास्ताने इश्क़


          दास्ताने  इश्क़

ऐसा तुम्हारे इश्क़ का छाया जूनून था ,
                 हम पागलों से ,आप के पीछे थे पड़ गये
एक दिन हमारी आशक़ी ,रंग लायी इस कदर,
                 आकर हमारी बाहों में ,तुम खुद  सिमट गए
दावत तो दी थी आपने और भूखे भी थे हम,
                 लेकिन ये मन ,माना नहीं और हम पलट गए
बदनाम ना कर दे तुम्हे बेदर्द ज़माना ,
                    ये सोच कर   के हम  ही थोड़े पीछे हट गए

घोटू  
   

लेन -देन

          लेन -देन

            जिससे तुमको कुछ मिलता है ,   
                 उसको  कुछ  देना  पड़ता है,
    ये लेन देन की रीत पुरानी ,मगर निभानी पड़ती है
                     जो कुत्ते पाला करते है ,
                     वो ही ये बात जानते है ,
स्वामीभक्तों की विष्ठा तक भी ,उन्हें उठानी पड़ती है
   
घोटू