Monday, June 25, 2012

बूढ़े माँ बाप और बच्चे

   बूढ़े माँ बाप और बच्चे

धरा पर भगवान प्रकटे,कृष्ण के अवतार में

भुलाया माँ बाप का सब प्यार आ  संसार में
यशोदा मैया और बाबा नन्द का दिल तोड़ कर
भुला सब कुछ,गये मथुरा,कृष्ण गोकुल छोड़ कर
राज के और रानियों के,चक्करों में  यूं  फसे
छोड़ कर ,माँ बाप बूढ़े, द्वारिका में  जा बसे
अपने पालक,जन्मदाता ,को भुला एसा  दिया
पलट कर मथुरा न आये,रुख न गोकुल का किया
जब किया भगवान ने, ये चलन है  संसार  का
मोल किसने चुकाया,माँ बाप के उपकार का
खटकने लगते है वो ,आँखों में बन कर किरकिरी
बच्चों को मिल जाती है जब,बीबी,अच्छी नौकरी
छोड़ते माँ बाप बूढों को तडफने   वास्ते
भूल सबको, जीतें है वो सिर्फ अपने  वास्ते

मदन मोहन बाहेती'घोटू'   

परेशानी-गर्मी की

       परेशानी-गर्मी की

गर्मियों में इस कदर ,मुश्किल है जीना हो गया

हवायें लू बन गयी, पानी पसीना   हो गया
और डर ने पसीने के,हाल है  एसा  किया
पास भी अब पटखने में,बिदकती है बीबियाँ
बड़ी मनमौजी हुई है, आती जाती  रात दिन
अंखमिचौली खेलती ,बिजली सताती रात दिन
आजकल उतनी हंसीं ,लगती नहीं है  हसीना
चेहरे का मेकअप  बिगाड़े,गाल पर बह पसीना
कम से कम कपडे बदन पर,जिस्म खुल दिखने  लगे
उनको भी ये सुहाता है,हमको भी अच्छा   लगे
गरमियों के दरमियाँ बस फलों का आराम है
लीचियां है,जामुने है,चूंसने  को आम है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

संगत का असर

        संगत का असर

सुबह की शीतल हवा,

सूरज का  साथ   पा,
               लू बन, सताती है
संगत के असर से,
आदमी की फितरत भी,
               कितनी बदल जाती है
अलग अलग बादल की,
अलग अलग बूँदें भी,
               मिल कर धरती पर से
साथ साथ रहती है,
नदिया बन बहती है,
               मिलने  समंदर   से
 खेल है किस्मत का,
मगर असर संगत का,
               बड़े रंग दिखता   है
शादी हो जाने पर,
आदमी के जीवन का,
               रुख ही बदल जाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'