एक दिन तुम ना रहोगे
कब तलक यूं ही घुटोगे और आंसूं बन बहोगे
एक दिन मै ना रहूँगा ,एक दिन तुम ना रहोगे
हर इमारत की बुलंदी ,चार दिन की चांदनी है
जहाँ पर रौनक कभी थी ,आज स्मारक बनी है
पुराने महलों ,किलों से ,खंडहर बन कर ढ़होगे
एक दिन मै ना रहूँगा,एक दिन तुम ना रहोगे
तुमने तिनका तिनका चुन कर ,घोंसला था जो बनाया
तिनका तिनका हो गया वो ,चार दिन बस काम आया
जाएंगे उड़ सब परिंदे , तुम बिलखते ही रहोगे
एक दिन मै ना रहूंगा ,एक दिन तुम ना रहोगे
वक़्त किसके पास है,कर कोई रहता व्यस्त हरदम
सभी पीड़ित,व्यथित ,चिंतित,कोई ज्यादा तो कोई कम
नहीं कोई भी सुनेगा ,वेदना किससे कहोगे
एक दिन मै ना रहूँगा,एक दिन तुम ना रहोगे
बहुत गर्वित हो रहे हो,कर कमाई ढेर सारी
लाख तुम करलो जतन पर जाओगे बस हाथ खाली
बन के एक तस्वीर,कुछ दिन,दीवारों पर ,टंग रहोगे
एक दिन मै ना रहूँगा,एक दिन तुम ना रहोगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'