Tuesday, August 7, 2012

नाम और काम

नाम और काम

सजना कभी नहीं कहते है तुमसे सज ना

दर्पण कभी नहीं कहता है दर्प  न  करना
नदिया ऐसी कोई नहीं जिसने  न दिया हो
पिया न जिसने कभी अधर रस नहीं पिया हो
सूरज में रज नहीं मगर सूरज  कहलाता
और समंदर ,जिसके अन्दर  सभी समाता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

डकार

डकार

विदेशी प्रवास
सुबह होटल में अमेरिकी ब्रेकफास्ट
बस में बैठ कर भ्रमण को निकलना
दर्शनीय स्थलों पर घूमना,फिरना,विचरना
और लंच के समय जब बस रूकती थी
तो लोगों के नाश्ते की पोटलियाँ खुलती थी
गुजरातियों के थेपले और खान्खरे ,
मारवाड़ियों के लड्डू और भुजिया
पंजाबियों के मठरी और अचार
हल्दीराम के नमकीन और मिक्सचर
या पीज़ा,फ्रेंच फ्राईज और बर्गर
और रात को इंडियन डिनर
मैदे की रबर सी ठंडी रोटियां
उबले फीके छोले,
पके अधपके चांवल,
स्वादहीन सब्जियां,
सूखी,रसविहीन,एनीमिक जलेबियाँ
चींठे गुलाबजामुन या पतली सी खीर
इन्ही चीजों से भर कर के प्लेट
किसी तरह भी भरा करते थे पेट
या सलाद और फल खाकर,
ही दिये दस दिन गुजार
और जब घर आकर,
खाये आलू के गरम गरम परांठे
और आम का अचार,
तब ही आई तृप्ति भरी डकार

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

पसीना बहाना

पसीना बहाना

कितनी नाइंसाफी है
गरीब मेहनत कर पसीना बहाता है,
और अमीर को पसीना बहाने के लिए,
'सोना बाथ'लेना काफी है
बस इतना अंतर है
गरीब जब पसीना बहाता है,
चार पैसे कमाता है
और अमीर पसीना बहाने के लिये,
चार आने लगाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'