जीवन झंझट
थोडा सा आराम मिला है, मुझको जीवन की खट पट में
कुछ इकसठ में,कुछ बांसठ में,कुछ त्रेसठ में,कुछ चोंसठ में
चलता यह गाडी के नीचे,पाले गलत फहमियां सारी
मै था मूरख श्वान समझता ,मुझ से ही चलती है गाडी
जान हकीकत, मै पछताया,खटता रहा यूं ही फ़ोकट में
थोडा सा आराम मिला है,मुझको जीवन की खट पट में
मै था एक कूप मंडुप सा,कूए में सिमटी थी दुनिया
नहीं किसी से लेना देना ,,बस मै था और मेरी दुनिया
निकला बाहर तो ये जाना,सचमुच ही था ,कितना शठ मै
थोडा सा आराम मिला है,मुझको जीवन की खटपट में
उलझा रहा और की रट में,मं में प्यार भरी चाहत थी
आह मिली तो होकर आहत,राह ढूंढता था राहत की
यूं ही फंसा रखा था मैंने,खुदको बे मतलब,झंझट में
थोडा सा आराम मिला है,मुझको जीवन की खटपट में
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'