Wednesday, February 8, 2023

दे के उपहार इतने पटाया उन्हें 
प्यार में उनके तो मेरा घर लुट गया 
कहां से लाऊंगा खर्च हनीमून का, 
जो था मेरा खजाना सभी खुट गया 
क्या पता था कि आसां मोहब्बत नहीं,
इसमें पड़ता है पापड़ बहुत बेलना 
जैसे तैसे अगर शादी हो भी गई 
बाद में पड़ता है मुश्किलें झेलना
जो तुम खाओ तो पछताओ, ना खाओ तो भी शादी बूरे के लड्डू है ,क्या कीजिए 
दुर्गति है तुम्हारी हरेक हाल में 
शौक से जिंदगी का मजा लीजिए

मदन मोहन बाहेती घोटू
ना तो छप्पन भोग , न ही छत्तीसों व्यंजन ,
 बस दो रोटी ,दाल यही जरूरत जीवन की 
 आए खाली हाथ, जाओगे तुम वैसे ही ,
 जाती कभी न साथ तिजोरी कोई धन की 
 करो सदा सत्कर्म ,सहायता, सेवा सबकी ,
 ये ही सच्चा धर्म , काम में जो आएगा 
 गमनआगमन के चक्कर से मोक्ष दिला कर
 तुम्हे स्वर्ग का अधिकारी जो बनवायेगा 

मदन मोहन बाहेती घोटू