क्रोध
देखो गुस्से में क्या क्या क्या ,कर देता इंसान
ले लेता है जान किसी की ,ले लेता है जान
कभी कूद जाता है छत से ,यूं ही परेशानी में
कभी छलांग लगा लेता है ,गंगा के पानी में
कभी नोचता बाल स्वयं के ,मार पीट है करता
बीबी,बच्चे,घरवालों पर ,रहता व्यर्थ बिगड़ता
कभी डाल कर केरोसिन है खुद को आग लगाता
शिशुपाल की तरह गालियां देता,सर कटवाता
हानि लाभ और यश अपयश तो,होता प्रभु के बस है
फिर भी क्रोध किया करता क्यों,हो जाता बेबस है
वो क्यूँ,कैसे और क्या करता ,होंश नहीं रहता है
और बाद में पछताता है ,पीड़ाएं सहता है
क्रोध बड़ा दुश्मन मानव को कर देता हैवान
देखो गुस्से में क्या क्या क्या ,कर देता इंसान
(ऑरेंज काउंटी में हुए हादसे के सन्दर्भ में -भगवान
अंकुर गुप्ता ,सारिका और पार्थ की आत्मा को शांती
प्रदान करे और उनके परिवार को इस कुठाराघात की
पीड़ा सहने की शक्ती प्रदान करे )
मदन मोहन बाहेती'घोटू'