ऐसा क्यूँ होता है ?
मिलन के रात हो ,नींद नहीं आती है
पिया जब साथ हो,,नींद नहीं आती है
खुशी की बात हो,नींद नहीं आती है
दुःख ,अवसाद हो ,नींद नहीं आती है
पेट जब भूखा हो, नींद नहीं आती है
अधिक लिया खा हो,नींद नहीं आती है
हाल ,बदहाल हो,नींद नहीं आती है
जमा खूब माल हो,नींद नहीं आती है
आप परेशान हो,नींद नहीं आती है
सर्दी या जुकाम हो,नींद नहीं आती है
बहुत अधिक गर्मी हो,नींद नहीं आती है
बहुत अधिक सर्दी हो ,नींद नहीं आती है
यदि निर्मल काया है,जी भर के सोता है
घर में ना माया है ,जी भर के सोता है
मेहनतकश थक जाता ,जी भी के सोता है
जब घोडा बिक जाता ,जी भर के सोता है
निपट जाती जब शादी,जी भर के सोता है
बिदा बेटी हो जाती ,जी भर के सोता है
चिंता ना करता है,जी भर के सोता है
या फिर जब मरता है,जी भर के सोता है
कई बार सोच सोच,'घोटू ' ना सोता है
नींद नहीं आती है,ऐसा क्यूँ होता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मिलन के रात हो ,नींद नहीं आती है
पिया जब साथ हो,,नींद नहीं आती है
खुशी की बात हो,नींद नहीं आती है
दुःख ,अवसाद हो ,नींद नहीं आती है
पेट जब भूखा हो, नींद नहीं आती है
अधिक लिया खा हो,नींद नहीं आती है
हाल ,बदहाल हो,नींद नहीं आती है
जमा खूब माल हो,नींद नहीं आती है
आप परेशान हो,नींद नहीं आती है
सर्दी या जुकाम हो,नींद नहीं आती है
बहुत अधिक गर्मी हो,नींद नहीं आती है
बहुत अधिक सर्दी हो ,नींद नहीं आती है
यदि निर्मल काया है,जी भर के सोता है
घर में ना माया है ,जी भर के सोता है
मेहनतकश थक जाता ,जी भी के सोता है
जब घोडा बिक जाता ,जी भर के सोता है
निपट जाती जब शादी,जी भर के सोता है
बिदा बेटी हो जाती ,जी भर के सोता है
चिंता ना करता है,जी भर के सोता है
या फिर जब मरता है,जी भर के सोता है
कई बार सोच सोच,'घोटू ' ना सोता है
नींद नहीं आती है,ऐसा क्यूँ होता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'