Saturday, December 23, 2023

 तिरासिवें जन्मदिन पर


मुश्किलों से नहीं मानी हार मैंने 

सभी पर जी भर लुटाया प्यार मैंने

जिंदगी की जंग को लड़ना कठिन था,

पर किसी से नहीं ठानी रार मैंने 

अग्रसर होता गया कर्तव्य पथ पर,

रहा हंसता, आई ना मुख पर उदासी

हमेशा ही सकारात्मक सोच रख कर,

वर्ष जीवन के किया पूरे बयांसी 


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये 


अपने माता-पिता की आशीष पायी 

दोस्तों की दुआओं की, की कमाई 

प्यार जी भर कर लुटाया भाइयों ने ,

और बहनों से सदा राखी बंधाई

करी सेवा मेरे बच्चों ने हमेशा 

और पत्नी ने लुटाई प्रेम राशी

हमेशा ही सकारात्मक सोच रखकर 

वर्ष जीवन के किये पूरे बयांसी


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये 


भयंकर बिमारी ने था जब सताया 

दुआओं से सबकी जीवन नया पाया

छलके आंसू आंख से मेरे कभी तो 

सांत्वना दे , सभी ने ढाढस बंधाया  

सच्चे दिल से ख्याल मेरा रखा हरदम,

नहीं आने दी शिकन मुंह पर जरा सी

हमेशा ही सकारात्मक सोच रखकर  

वर्ष जीवन के किया पूरे बयांसी 


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये


चाहता हूं जब तलक मैं रहूं जिंदा 

भूल कर भी किसी की ना करूं निंदा 

मदद सबकी हो सके मैं करूं उतनी 

रहूं उड़ता प्यार का बनकर परिंदा 

रहूं करता खुशी की बरसात हरदम 

प्रेम मेरा कभी भी ना पड़े  बासी 

हमेशा ही सकारात्मक सोच रखकर

वर्ष जीवन के किये पूरे बयांसी 


अब तिरासी वर्ष का आगाज़ है ये 

मेरे जीवन जीने का अंदाज है ये


मदन मोहन बाहेती घोटू

Friday, December 22, 2023

शिकायत  तकिये की


कल रजाई से बात करी तो 

मेरा तकिया हुआ रूआंसा 

बस रजाई ही तुमको प्यारी

 प्यार न करते मुझे जरा सा 


वह तो सर्दी की साथिन है 

मैं साथी हूं बारहमासी

बनकर तुम्हारा सिरहाना 

मेहनत करता अच्छी खासी 


जब तुम बिस्तर पर सोते हो 

सर तुम्हारा ऊंचा रखता

तुमको लेने नींद चैन की 

पड़ती मेरी आवश्यकता 


कभी भींच लेते बाहों में

या छाती से चिपकाते हो 

या फिर दबा बीच टांगों के 

एक नया सा सुख पाते हो 


करते हो उपयोग हमेशा 

जैसे तुम्हारा दिल करता 

हरदम सेवा में रह हाजिर 

नहीं कभी मैं नखरे करता 


सोते तुम मुझ पर सर रखकर 

या अपनी बाहों में भरकर 

में हूं हर मौसम का साथी 

मेरा मिलन हमेशा सुखकर 


तुम्हें रजाई जकड़ा करती 

लेकिन मुझे जकड़ते हो तुम 

मुझे बना हथियार प्यार का

भाभी जी से लड़ते हो तुम 


जब भी कभी लेटते हो तुम

मेरे बिन ना सो पाते हो 

मैं इतना सुख देता हूं पर 

गुण रजाई के तुम गाते हो 


सौतेला व्यवहार तुम्हारा 

मुझको नहीं पसंद जरा सा 

कल रजाई से बात करी तो 

मेरा तकिया हुआ रूआंसा


मदन मोहन बाहेती घोटू

Thursday, December 21, 2023

क्या से क्या हो गई


मैं मोटी थुलथुल हो गई,

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मेरी सारी ब्यूटी खो गई,

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 


दुबली पतली कनक छड़ी थी,

 सुंदर प्यारी प्यारी 

कमसिन थी ,फूलों सी नाजुक,

जब तक थी मैं कुंवारी

लेकिन ऐसा तूने खिलाया

 मुझे प्यार का लड्डू 

दुबली पतली नरम तरोई ,

आज बन गई कद्दू 

मेरी रौनक सब गुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मैं मोटी थुलथुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 


छत्तीस चोबीस छत्तीस का था,

मेरा फिगर  प्यारा 

उसको तूने यार प्यार से

 फोर XL कर डाला 

बड़े चाव से पिज़्ज़ा बर्गर 

हलवा पूरी खिलाया 

ऐसा ऐश आराम दिया कि

गई फूलती काया 

मेरी टंकी अब फुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मैं मोटी थुलथुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 


मैं चंचल थी, बड़ी चपल थी

 दौड़ लगाती हिरणी

लेकिन पा आहार प्यार का 

आज बन गई हथिनी 

दो बच्चों की अम्मा बनकर 

बनी गृहस्थन ऐसी 

मेरे सारे अरमानों की 

हो गई ऐसी तैसी 

मेरी सारी चुलबुल खो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मैं मोटी थुलथुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में


मदन मोहन बाहेती घोटू

Wednesday, December 20, 2023

बदलती पहचान


जब मैं बच्चा था तो मेरी दादी

मुझे अपनी गोद में लेकर थी घुमाती 

पास पड़ोस सबका प्यार पाता था 

*दादी के घोटू*के नाम से जाना जाता था


थोड़ा बड़ा हुआ तो स्कूल जाने लगा 

पढ़ने लगा और अच्छे नंबर पाने लगा 

कुछ कविताएं लिखकर सुनाने लगा

*वकील साहब बाहेतीजी के पुत्र *के नाम से जाने जाने लगा 


फिर पढलिख कर मैंने इंजीनियरिंग किया किस्मत ने एक अच्छा सा जॉब मिल गया अच्छी पोजीशन में खाने कमाने लगा 

तब मैं *मदन मोहन *अपने नाम से जाने जाने लगा 


तब तक मेरे बेटे ने लगा ली फैक्टरी मेहनत करके खूब तरक्की करी 

तब तक मैं भी हो गया था रिटायर 

मेरी पहचान बनी *आशीष सर के फादर*


और फिर दिल्ली आकर बेटी श्वेता ने यूट्यूब पर रिलीज किया भजन और गाने उसकी पापुलैरिटी में हो गया इजाफा 

मेरी पहचान बनी *श्वेता के पापा *


अब मेरा प्यारा सा पोता है दिव्यान इन्वेस्टमेंट के फील्ड में बना रहा है पहचान आज मैं सच्चे दिल से कहना यह चाहूं *दिव्यान के दादा* के रूप में मैं पहचान जाऊं


मदन मोहन बाहेती घोटू

Monday, December 18, 2023

बुढ़ापा घेर रहा है


धीरे-धीरे अब यौवन मुंह फेर रहा है

बुढ़ापा घेर रहा है 


थका थका सा तन लगता है सांझ सवेरे

आसपास आंखों के छाए काले घेरे 

अब थोड़ा ऊंचा भी सुनने लगे कान है

थोड़ी सी मेहनत कर लो ,आती थकान है

नहीं पुराने जैसी अब यह कंचन काया

मांसपेशियां ढीली है, तन है झुर्राया

 तरह-तरह की बीमारी ने घेर रखा है 

जो भी खाते, उसको पाते नहीं पचा है

बड़ा-बड़ा सा रहता है तन में ब्लड प्रेशर

डायबिटीज है, बढ़ी हुई है खूं में शक्कर

सर सफेद है और हुई कमजोर नजर है

घुटने करते दर्द ,हड्डियां भी जर्जर है 

बदले हैं हालात कोई भी ध्यान न देता 

करें न ढंग से बात, कोई सम्मान न देता

जिस पर प्यार लुटाया वह मुंह फेर रहा है 

बुढ़ापा घेर रहा है


मदन मोहन बाहेती घोटू

नजरिया बदलो


यह बुढ़ापा उम्र का वह दौर है

होती नजरे आपकी कमजोर है 

मगर चढ़ता चश्मा है जब आंख का 

बदल जाता नजरिया है आपका 

इस तरह संकेत ईश्वर दे रहा 

बदल दो तुम सोचने का नजरिया 

भूल जाओ मानसिकता रौब की 

लोग घर के तुमसे डरते थे कभी 

तुम रिटायर हुए, बूढ़े हो रहे 

पहले जैसे काम के अब ना रहे 

लाओ अपनी सोच में बदलाव तुम 

नम्रता की भावना अपनाओ तुम 

इसके पहले की अपेक्षा वह करें 

प्यार बरसा, आप सब का मन हरे 

साफ जैसे पहन चश्मा दिखेगा 

सोच बदलो तो करिश्मा दिखेगा 

बड़प्पन जो थोड़ा सा दिखलाओगे 

प्यार और सम्मान सबका पाओगे 

आपकी कोशिश यह रंग लाएगी 

हंसते-हंसते जिंदगी कट जाएगी


मदन मोहन बाहेती घोटू

बहुत नींद आती सवेरे सवेरे


छंटते हैं जब रात के सब अंधेरे

बहुत नींद आती, सवेरे सवेरे 


कई बीती बातें मानस पटल पर 

आ तेरती है ,कई स्वप्न बनकर 

किस्से पुराने बहुत याद आते 

हंसाते कभी तो कभी है रुलाते 

मगर आंख खुलती तो सब भूल जाते

छट जाते यादों के बादल घनेरे 

बहुत नींद आती, सवेरे सवेरे 


तन से लिपट करके रहती रजाई 

नहीं आंख खुलती है,आती जम्हाई

उठो जो अगर तो बदन टूटता है 

मुश्किल से बिस्तर मगर छूटता है 

बड़ा दिल कड़ा कर,अगर उठ भी जाते

आलस के बादल हमें रहते घेरे 

बहुत नींद आती, सवेरे सवेरे 


अगर हो जो छुट्टी या संडे का दिन है उठना सवेरे , बड़ा ही कठिन है 

बीबी जगाती, बना चाय प्याला 

होता सुबह का मजा ही निराला 

बिस्तर में लेकर के चाय की चुस्की,

शुरुआत होती है दिन की सुनहरे 

बहुत नींद आती, सवेरे सवेरे


मदन मोहन बाहेती घोटू