बंधन का सुख
आवश्यक जीवन में बंधन ,बंधन रहता अनुशासन
उच्श्रृंखलता बांध जाती है ,जब बंधता शादी का बंधन
बिखरे रहते है अस्त व्यस्त ,पर खुले बाल जब बंधते है
नागिन सी चोटी बन कर ये,कितने ही दिल को डसते है
जब तक कंचुकी की डोर बंधी, तब तक उन्नत,यौवन उभार
जो खुली डोर ,स्वच्छंद हुए ,तो नज़र आएंगे ये निढाल
यदि नहीं रहे जो बंधन में ,ये कलश ढलक फिर जाते है
बंधन है तब ही तने हुए ,ये सबके मन को भाते है
कितना ज्यादा सुख देता है ,जब बंधता बाँहों का बंधन
तुम्हारी लाज बचा कर के , रखता तुम्हारा कटिबंधन
आवारा बादल के जैसे , हर कहीं बरसना ठीक नहीं
बंधन में ही सच्चा सुख है ,स्वच्छंद विचरना ठीक नहीं
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
आवश्यक जीवन में बंधन ,बंधन रहता अनुशासन
उच्श्रृंखलता बांध जाती है ,जब बंधता शादी का बंधन
बिखरे रहते है अस्त व्यस्त ,पर खुले बाल जब बंधते है
नागिन सी चोटी बन कर ये,कितने ही दिल को डसते है
जब तक कंचुकी की डोर बंधी, तब तक उन्नत,यौवन उभार
जो खुली डोर ,स्वच्छंद हुए ,तो नज़र आएंगे ये निढाल
यदि नहीं रहे जो बंधन में ,ये कलश ढलक फिर जाते है
बंधन है तब ही तने हुए ,ये सबके मन को भाते है
कितना ज्यादा सुख देता है ,जब बंधता बाँहों का बंधन
तुम्हारी लाज बचा कर के , रखता तुम्हारा कटिबंधन
आवारा बादल के जैसे , हर कहीं बरसना ठीक नहीं
बंधन में ही सच्चा सुख है ,स्वच्छंद विचरना ठीक नहीं
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'