Saturday, February 8, 2014

हम नेता हैं

         हम नेता हैं

हम नेता है,हम न किसी के सगे हुए है
जोड़ तोड़ कर ,बस कुर्सी से टंगे  हुए है
जनता के सेवक खुद को तो  कहते है पर,
खुद अपनी ही सेवा में हम लगे हुए है
मीठी मीठी बातें कर सबको बहलाते,
क्योंकि चाशनी में असत्य की पगे हुए है
आश्वासन की लोरी सुन ,सोती है जनता ,
और हम उसको ,थपकी देते ,जगे हुए है
हम भी तो है,इस जंगल के रहनेवाले ,
है तो वो ही सियार ,मगर हम रंगे  हुए है
लाख कोशिशें करते जनता को ठगने की,
पर सच ये है,हम  अपनों से ठगे  हुए है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सरस्वती वंदना

          सरस्वती वंदना

भावना के प्रसूनों से ,गुंथी उज्जवल,श्वेत माला 
अलंकारों से हुआ है   रूप आभूषित निराला
श्वेत वाहन,हंस सुन्दर ,श्वेत पद्मासन तुम्हारा
श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित ,दिव्य सुन्दर रूप प्यारा
हाथ में वीणा लिए माँ,तुम स्वरों की सुरसरी हो
बुद्धि का भण्डार हो तुम,भावनाओं से भरी  हो
भक्त,सेवक मैं तुम्हारा ,मुझे ,आशीर्वाद दो माँ
प्रीत दो,संगीत दो और ज्ञान का परशाद  दो माँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू' 

एक जूता किसी नेता पे उछालो यारों

         एक जूता किसी नेता पे उछालो यारों

यूं ही गुमनाम से आये हो,चले जाओगे ,
                        करो कुछ ऐसा कि कुछ नाम कमा लो यारों
कौन कहता है कि टी वी पे नहीं छा सकते ,
                        एक  जूता तो  किसी नेता  पे उछालो    यारों 
बड़ी मुश्किल से ये मानव शरीर पाया है,
                         हसरतें मन की अपनी ,सारी निकालों यारों
वैसे लड़ना तो बुरी बात है सब कहते है ,
                          नाम करना है तो चुनाव लड़  डालो यारों      
करो अफ़सोस नहीं,हार जीत चलती है,
                            भड़ास मन की तुम बीबी पे निकालों यारों
लोग ठगते है सब ,औरों को टोपी पहना कर ,
                              बदल के टोपी खुद ही पैसा कमालो यारों
एक के साथ ही निष्ठां की नहीं जरुरत है,
                              माल जो दल दे उसे ,अपना बना लो यारों
जिंदगी सुख से जो जीना है,जुगाड़ी बन कर,
                               निकालो काम ,अपनी गाडी धका लो यारों  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'