झपकियाँ
ट्रेन में या बसों में या कार में
यहाँ तक के सिनेमा के हाल में
और हवाई उड़ानों के दरमियाँ
जायेंगे मिल ,लोग लेते झपकियाँ
आप यदि कोई कथा में जायेंगे
आधे श्रोता ,ऊंघते मिल जायेंगे
कथावाचक इसलिए ही बीच में ,
जगाने को,कीर्तन करवाएंगे
नेताओं के लम्बे भाषण होरहे
पाओगे तुम,लोग कितने सो रहे
यहाँ तक कि मंच पर आसीन भी,
कई नेता नींद में है खो रहे
हाल में संसद के देखो बेखबर
झपकियाँ लेते है नेता बैठ कर
पहनते है काला चश्मा लोग कुछ,
झपकियाँ लेते, नहीं आये नज़र
नींद आने के लिए जब लपकती
कभी खुलती, कभी आँखें झपकती
कभी खर्राटों के स्वर भी गूंजते ,
और रह रह कर के गर्दन संभलती
नींद आने का है सिग्नल झपकियाँ
रोकना होता है मुश्किल झपकियाँ
क्या करेगा वो सुहागरात को ,
फेरों पे बैठा जो लेता झपकियाँ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
ट्रेन में या बसों में या कार में
यहाँ तक के सिनेमा के हाल में
और हवाई उड़ानों के दरमियाँ
जायेंगे मिल ,लोग लेते झपकियाँ
आप यदि कोई कथा में जायेंगे
आधे श्रोता ,ऊंघते मिल जायेंगे
कथावाचक इसलिए ही बीच में ,
जगाने को,कीर्तन करवाएंगे
नेताओं के लम्बे भाषण होरहे
पाओगे तुम,लोग कितने सो रहे
यहाँ तक कि मंच पर आसीन भी,
कई नेता नींद में है खो रहे
हाल में संसद के देखो बेखबर
झपकियाँ लेते है नेता बैठ कर
पहनते है काला चश्मा लोग कुछ,
झपकियाँ लेते, नहीं आये नज़र
नींद आने के लिए जब लपकती
कभी खुलती, कभी आँखें झपकती
कभी खर्राटों के स्वर भी गूंजते ,
और रह रह कर के गर्दन संभलती
नींद आने का है सिग्नल झपकियाँ
रोकना होता है मुश्किल झपकियाँ
क्या करेगा वो सुहागरात को ,
फेरों पे बैठा जो लेता झपकियाँ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'