Thursday, July 5, 2012

रोबोट बन कर रह गये

      रोबोट बन कर रह गये

चाहते थे मंगायें जापान से रोबोट हम,
                  शादी करली और खुद  रोबोट बन कर रह गये
हम तो थे बाईस केरट, जब से पर हीरा जड़ा,
                चौदह केरट हुए ,बाकी खोट बन कर   रह गये
कभी किशमिश की तरह थे,मधुर ,मीठे, मुलायम,
                एसा   बदला  वक़्त ने, अखरोट  बन कर रह गये
बुदबुदा सकते हैं लेकिन बोल कुछ सकते नहीं,
              किटकिटाते दांतों के संग,  होंठ  बन कर रह गये
गाँधी जी का चित्र है पर आचरण विपरीत है,
               रिश्वतों में देने वाले    ,नोट बन कर  रह गये
आठ दस भ्रष्टों में से ही नेता चुनना है तुम्हे,
               लोकतंत्री व्यवस्था के, वोट बन कर रह गये
कभी टेढ़े,कभी सीधे,कभी चलते ढाई घर,
               बिछी शतरंजी बिसातें,  गोट बन कर रह गये
चाहते थे बनना हम क्या, और 'घोटू' क्या बने,
               टीस देती हमेशा वो चोंट    बन कर  रह गये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'     

कौनसा वो तत्व है-जिसमे छुपा अमरत्व है?

      कौनसा वो तत्व है-जिसमे छुपा अमरत्व है?

समंदर में भरा है जल

जल से फिर बनते है बादल
और वो बादल बरस के,
पानी की बूंदों  में झर झर
कभी सींचें ,खेत बगिया
कभी जमता बर्फ बन कर
कभी नदिया बन के बहता,
और फिर बनता समंदर
ये ही है जीवन का चक्कर
जो कि चलता  है निरंतर
ये ही तो वो तत्व है
जिसमे बसा अमरत्व है
बना है माटी का ये तन
बड़ा क्षण भंगुर है जीवन
पंच तत्वों से बनी है,
तुम्हारी काया अकिंचन
सांस के डोरी रुकेगी,
जाएगी जब जिंदगी थम
जाके  माटी में मिलेगा,
फिर से माटी जाएगा बन
ये ही जीवन का चक्कर
जो कि चलता है निरंतर
ये ही तो वो तत्व है
जिसमे बसा अमरत्व है
 हवायें जीवन भरी है,
सांस बन कर सदा चलती
और कार्बन डाई ओक्साइड
बनी बाहर   निकलती
फिर उसे ये पेड़ ,पौधे,
पुनः ओक्सिजन बनाये
विश्व में हर एक जगह ,
पर सदा रहती हवायें
ये ही है जीवन का चक्कर
जो कि चलता है निरंतर
ये ही तो वो तत्व है
जिसमे बसा  अमरत्व है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'