Monday, August 27, 2018

केरल की त्रासदी पर 

देख तड़फता निज बच्चों को ,रोया तू भगवान तो होगा 
तूने इतना दर्द दिया है ,इसका कोई निदान  तो होगा 

तेरा अपना देश कहाता ,सुंदरता थी,हरियाली थी 
गाँव गाँव में समृद्धि थी ,गली गली में खुशहाली थी 
जिसकी एक बाजू सागर की ,लहरें उछल उछल धोती थी 
नारियल,केले और मसाले ,की घर घर  खेती होती थी 
वहां भला क्यों इतना ज्यादा ,अतिवृष्टि कर ,जल बरसाया 
वहां जलप्रलय सा लाकर के ,तूने सितम इस तरह ढाया 
क्या वो तेरे बंदे ना थे ,  क्यों थी  उनसे  यूं नाराजी 
नदियां उमड़ी ,बाढ़ आ गयी ,सभी तरफ छायी बर्बादी 
कीचड़ कीचड़ गाँव हो गए ,सड़क हो गयी टुकड़े टुकड़े 
कितने घर बरबाद  हो गए ,कितने घर में छाये दुखड़े 
कोई की माँ ,कोई बेटा ,कोई डूबा ,कोई बह गया 
कितनो का अरमान संजो कर, बनवाया आशियां ढह गया 
इनकी पीड़ा देख प्रभु तू ,खुद भी परेशान तो होगा 
तूने इतना दर्द दिया है  ,इसका कोई निदान तो होगा 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
हम सीधेसादे 'घोटू 'है 

ना तो कुछ लागलगावट है 
ना मन में कोई बनावट  है 
हम है सौ प्रतिशत खरी चीज,
ना हममे कोई मिलावट है
          हम सदा मुस्कराते रहते 
          हँसते  रहते , गाते  रहते 
         जियो और जीने दो सबको ,
         दुनिया को समझाते रहते 
कितना ही वातावरण भले ,
गंदा,दूषित ,दमघोटू  है 
हम सीधेसादे  'घोटू ' है 

ना  ऊधो से लेना  कोई 
ना माधो  का देना कोई 
है हमे पता जो बोयेंगे ,
हम काटेंगे फसलें वो ही 
        इसलिए सभी से मेलजोल 
        बोली में  मिश्री सदा घोल 
        हम सबसे मिलते जुलते है 
        दिल के दरवाजे सभी खोल 
ना  मख्खनबाज ,न चमचे है ,
ना ही चरणों पर लोटू  है 
हम सीधेसादे 'घोटू ' है 

मिल सबसे करते राम राम 
है हमे काम से सिरफ काम 
ना टांग फटे में कोई के ,
ना ताकझांक ना तामझाम 
           हम सीधी राह निकलते है 
           कुछ लोग इसलिए जलते है 
           है मुंह में राम ,बगल में पर ,
           हम छुरी न लेकर चलते है 
अच्छों के लिए बहुत अच्छे ,
खोटो के लिए पर खोटू  है 
हम सीधेसादे 'घोटू ' है 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '