मैं सीनियर सिटिज़न हूँ
अनुभव से भरा मैं ,समृद्ध जन हूँ
लोग कहते सीनियर मैं सिटिज़न हूँ
नौकरी से हो गया हूँ अब रिटायर
इसलिये रहता हूँ बैठा आजकल घर
बुढ़ापे का हुआ ये अंजाम अब है
निकम्मा हूँ ,काम ना आराम अब है
कभी जिनके काम आता रोज था मैं
बन गया हूँ ,अब उन्ही पर बोझ सा मैं
सभी का व्यवहार बदला इस तरह है
नहीं मेरे वास्ते दिल में जगह है
समझ कर मुझको पुराना और कबाड़ा
सभी मुझ पर रौब अब करते है झाड़ा
और करते रहते है 'निगलेक्ट 'मुझको
बुढ़ापे ने कर दिया 'रिजेक्ट' मुझको
काम का अब ना रहा हो गया कूड़ा
हंसी मेरी उड़ाते सब ,समझ बूढा
था कभी बढ़िया अब हो घटिया गया हूँ
लोग कहते है कि मैं सठिया गया हूँ
रोग की प्रतिरोध क्षमता घट गयी है
बिमारी जल्दी पकड़ने लग गयी है
हो गया कमजोर सा है हाल मेरा
कर लिया बीमारियों ने है बसेरा
मगर उनसे लड़ रहा करके जतन हूँ
लोग कहते ,सीनियर मैं सिटिज़न हूँ
बीते दिन की याद कर होता प्रफुल्लित
भूल ना पाता सुनहरे दिन वो किंचित
उन दिनों जब कॅरियर की 'पीक' पर था
कद्र थी ,सबके लिए मैं ठीक पर था
मेहनत ,मैंने बहुत जी तोड़ की थी
सम्पदा ,बच्चों के खातिर जोड़ ली थी
ऐश जिस पर कर रहे सब ,मज़ा लेते
मगर तनहाई की मुझको सज़ा देते
हो गए नाजुक बहुत जज्बात है अब
लगी चुभने ,छोटी छोटी बात है अब
किन्तु अब भी लोग कुछ सन्मान करते
पैर छूते ,अनुभव का मान करते
आज भी दिल में है मेरे प्रति इज्जत
ख्याल रखते ,पूर्ण कर मेरी जरूरत
समझते परिवार का है मुझे नेता
प्यार से मैं उन्हें आशीर्वाद देता
वृद्ध हूँ ,समृद्ध हूँ और शिष्ट हूँ मैं
देश का एक नागरिक वरिष्ठ हूँ मैं
भले ही ये तन पुराना ,ढल चला है
मगर कायम ,अब भी मुझमे हौंसला है
सत्य है ये उमर का अंतिम चरण हूँ
लोग कहते सीनियर मैं सिटिज़न हूँ
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
अनुभव से भरा मैं ,समृद्ध जन हूँ
लोग कहते सीनियर मैं सिटिज़न हूँ
नौकरी से हो गया हूँ अब रिटायर
इसलिये रहता हूँ बैठा आजकल घर
बुढ़ापे का हुआ ये अंजाम अब है
निकम्मा हूँ ,काम ना आराम अब है
कभी जिनके काम आता रोज था मैं
बन गया हूँ ,अब उन्ही पर बोझ सा मैं
सभी का व्यवहार बदला इस तरह है
नहीं मेरे वास्ते दिल में जगह है
समझ कर मुझको पुराना और कबाड़ा
सभी मुझ पर रौब अब करते है झाड़ा
और करते रहते है 'निगलेक्ट 'मुझको
बुढ़ापे ने कर दिया 'रिजेक्ट' मुझको
काम का अब ना रहा हो गया कूड़ा
हंसी मेरी उड़ाते सब ,समझ बूढा
था कभी बढ़िया अब हो घटिया गया हूँ
लोग कहते है कि मैं सठिया गया हूँ
रोग की प्रतिरोध क्षमता घट गयी है
बिमारी जल्दी पकड़ने लग गयी है
हो गया कमजोर सा है हाल मेरा
कर लिया बीमारियों ने है बसेरा
मगर उनसे लड़ रहा करके जतन हूँ
लोग कहते ,सीनियर मैं सिटिज़न हूँ
बीते दिन की याद कर होता प्रफुल्लित
भूल ना पाता सुनहरे दिन वो किंचित
उन दिनों जब कॅरियर की 'पीक' पर था
कद्र थी ,सबके लिए मैं ठीक पर था
मेहनत ,मैंने बहुत जी तोड़ की थी
सम्पदा ,बच्चों के खातिर जोड़ ली थी
ऐश जिस पर कर रहे सब ,मज़ा लेते
मगर तनहाई की मुझको सज़ा देते
हो गए नाजुक बहुत जज्बात है अब
लगी चुभने ,छोटी छोटी बात है अब
किन्तु अब भी लोग कुछ सन्मान करते
पैर छूते ,अनुभव का मान करते
आज भी दिल में है मेरे प्रति इज्जत
ख्याल रखते ,पूर्ण कर मेरी जरूरत
समझते परिवार का है मुझे नेता
प्यार से मैं उन्हें आशीर्वाद देता
वृद्ध हूँ ,समृद्ध हूँ और शिष्ट हूँ मैं
देश का एक नागरिक वरिष्ठ हूँ मैं
भले ही ये तन पुराना ,ढल चला है
मगर कायम ,अब भी मुझमे हौंसला है
सत्य है ये उमर का अंतिम चरण हूँ
लोग कहते सीनियर मैं सिटिज़न हूँ
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '