Saturday, April 5, 2014

हमारी बदकिस्मती

          हमारी बदकिस्मती

बताएं क्या हमारी  दास्ताँ है बड़ी दर्दीली ,
                       हमें बेदर्द किस्मत ने ,बहुत ज्यादा सताया है
चाँद  पाने की हसरत में ,बहुत तड़फे जवानी में,
                         बुढ़ापा आया तब जाकर , चाँद चंगुल में आया है
एक तो इस कदर से देर करदी ,तोड़ दिल डाला ,
                           जिसे बाहों में  आना  था ,  हमारे सर  पे छाया है
न जाने क्या क्या देखे थे,सपन लेकर जिसे हमने  ,
                              फेर कर   हाथ ही बस,मन हमारा बहल पाया है

घोटू    
 

तेरी संगत


          तेरी संगत

तेरा स्पर्श पा मेंहदी ,बदल निज रंग देती है ,
               हरी रंगत हिना की भी,है रच कर लाल हो जाती
तुझे छू  तैरने लगते ,गुलाबी डोरे आँखों में ,
              उबलता खूं है,हालत  बावरी ,बदहाल हो जाती
तेरे होठों की लाली जब,मेरे होठों से लगती है ,
               तबियत मस्तियों से मेरी  मालामाल हो जाती
बड़ी सजती संवरती है ,तू मेरा दिल लुभाने को ,
               मगर बाहों में बंध सजधज,सभी बेकार हो जाती
खफा मुझसे तू जब होती,मज़ा आता मनाने में ,
                कभी तू फूल सी  कोमल,कभी तलवार  हो जाती
बताऊँ क्या ,मेरे दिल पर कि उस दिन क्या गुजरती है ,
                 किसी दिन प्यार की अपने,अगर हड़ताल जाती
रंग लिया इस कदर तूने,मुझे है रंग में अपने ,
                 नहीं मिलती अगर तू जिंदगी दुश्वार   हो जाती
तेरे क़ानून ही चलते है सारी जिंदगी मुझ पर,
                  उमर की कैद ,शादी कर,है जब एकबार हो जाती
हमारे देश की सरकार बनती ,पांच सालों की ,
                  मगर तू जिंदगी भर के लिए , सरकार  हो जाती
आदमी अपनी शख्सीयत तलक भी भूल जाता है ,
                   डूब कर प्यार में ये जिंदगी  गुलजार  हो जाती
तुम हो दुल्हन,हम है दलहन,पकाती हो हमें तब तक ,
                    तुम्हारे स्वाद के माफ़िक़ ,न जब तक दाल हो जाती 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

नहले पर दहला

           नहले पर दहला

एक दिन  अपनी बीबी को,कहा मैंने चिढ़ाने को,
                गया हूँ मैं बहुत बोअर  ,बदलने टेस्ट जाना है
इसलिए सोचता हूँ मैं ,चला ससुराल ही जाऊं ,
                 मज़ा संग छोटी साली के ,मुझे दूना ही आना है
ससुर और सास का कुछदिन, मिलेगा लाड़  भी मुझको,
                  संग सलहज के मस्ती में,मुझे टाइम  बिताना है 
कहा पत्नी ने खुश होकर ,बताओ जा रहे कब,
                   मेरे जीजाजी को भी थोड़े दिन ,मुझ संग बिताना है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'