आशिक़ की आरजू
रात को आते हो अक्सर,ख्वाबगाह में मेरी ,
एक झलक अपनी दिखाते ,और जाते हो चले
हमने बोला,छोड़ दो यूं ,आना जाना ख्वाब में ,
बहुत है हमको सताते ,इस तरह के सिलसिले
ये भी कोई बात है ,जब बंद आँखें हमारी ,
तब ही मिल पाता हमें है,आपका दीदार है
खोलते है आँख जब हम ,नज़र तुम आते नहीं,
बीच में मेरे तुम्हारे ,पलक की दीवार है
ना तो तुमको छू सकें ना भर सकें आगोश में,
दूर मुझसे इतने रहते, नज़र आते पास हो
भला ये भी इश्क़ करने का तरीका है कोई,
उड़ा देते नींद मेरी,बढ़ा देते प्यास हो
इसतरह से आओ अब वापस कभी ना जा सको,
रूबरू अहसास तुम्हारा करूं मैं रात दिन
अब तो शिद्दत हो गयी है,तुम्हारे इन्तजार की,
आओ ना आजाओ बस अब ,मन लगे ना आप बिन
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
रात को आते हो अक्सर,ख्वाबगाह में मेरी ,
एक झलक अपनी दिखाते ,और जाते हो चले
हमने बोला,छोड़ दो यूं ,आना जाना ख्वाब में ,
बहुत है हमको सताते ,इस तरह के सिलसिले
ये भी कोई बात है ,जब बंद आँखें हमारी ,
तब ही मिल पाता हमें है,आपका दीदार है
खोलते है आँख जब हम ,नज़र तुम आते नहीं,
बीच में मेरे तुम्हारे ,पलक की दीवार है
ना तो तुमको छू सकें ना भर सकें आगोश में,
दूर मुझसे इतने रहते, नज़र आते पास हो
भला ये भी इश्क़ करने का तरीका है कोई,
उड़ा देते नींद मेरी,बढ़ा देते प्यास हो
इसतरह से आओ अब वापस कभी ना जा सको,
रूबरू अहसास तुम्हारा करूं मैं रात दिन
अब तो शिद्दत हो गयी है,तुम्हारे इन्तजार की,
आओ ना आजाओ बस अब ,मन लगे ना आप बिन
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'