कर्मक्षेत्र -कुरुक्षेत्र
जीवन में जंग होती अक्सर,
जर,जमीन का हो चक्कर
सगे और सम्बन्धी कितने,
तुमसे लड़ने को तत्पर
भ्राता दुर्योधन हठ धर्मी ,
जिद है सत्ता पाने की
घर घर पर होती महाभारत,
ये है रीत जमाने की
कई शकुनी,भड़काने को,
फेंक रहे उलटे पासे
धृतराष्ट्र भी ,पुत्र मोह में,
बंद रखे ,अपनी आँखें
भरी सभा,रो रही द्रोपदी,
चीरहरण इज्जत का है
तो फिर कौन रोक सकता है,
युद्ध महाभारत का है
कर्मक्षेत्र ही कुरुक्षेत्र है,
भले बुरे की जंग छिड़ी
सत्य असत्य आज दोनों की,
आपस में है फ़ौज भिड़ी
अधिकार की इस लड़ाई में,
लड़ना पड़ता,जीवन भर
देख सामने ,कुछ अपनों को,
शस्त्र फेंकतें है कायर
तुम अर्जुन बन,कृष्ण चन्द्र को ,
बना सारथी ,पास रखो
तुम अपने गांडीव ,बाहुबल,
पर पूरा विश्वास रखो
कृष्ण साथ है,राह दिखाते,
ध्वज पर बैठे हनुमत है
तो समझो इस महासमर में,
जीत तुम्हारी निश्चित है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
http://blogsmanch.blogspot.com/" target="_blank"> (ब्लॉगों का संकलक)" width="160" border="0" height="60" src="http://i1084.photobucket.com/albums/j413/mayankaircel/02.jpg" />
Tuesday, October 2, 2012
महिलायें-महान बड़ी
महिलायें-महान बड़ी
महिलायें,सचमुच में,होती है महान बड़ी,
पति का भी ख्याल रखे,बच्चे भी पाले है
कभी सूर्य चंदा बन,रास्ता दिखलाती,
अंधियारे जीवन में,करती उजियाले है
जीवन की उलझन के डोरे भी सुलझाती,
और कभी मनभावन ,डोरे भी डाले है
मुख पर मुस्कान लिए,ख्याल रखे है सब का,
दफ्तर भी जाती है,घर भी संभाले है
कभी सरस्वती है तो ,कभी रूप दुर्गा का,
कभी ज्ञान बाँटें है,कभी दुष्ट मारे है
नारी तो देवी है,नारी सा कोई नहीं,
वो घर की लक्ष्मी है,घर को सँवारे है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
महिलायें,सचमुच में,होती है महान बड़ी,
पति का भी ख्याल रखे,बच्चे भी पाले है
कभी सूर्य चंदा बन,रास्ता दिखलाती,
अंधियारे जीवन में,करती उजियाले है
जीवन की उलझन के डोरे भी सुलझाती,
और कभी मनभावन ,डोरे भी डाले है
मुख पर मुस्कान लिए,ख्याल रखे है सब का,
दफ्तर भी जाती है,घर भी संभाले है
कभी सरस्वती है तो ,कभी रूप दुर्गा का,
कभी ज्ञान बाँटें है,कभी दुष्ट मारे है
नारी तो देवी है,नारी सा कोई नहीं,
वो घर की लक्ष्मी है,घर को सँवारे है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
Subscribe to:
Posts (Atom)