केजरीवाल-४
विपरीत परिस्तिथियाँ
अरविन्द याने की कमल ,
दोनों समानार्थी ,
याने कि भाई,भाई
पर दिल्ली की राजनीति में,
दोनों की लड़ाई
सुबह सुबह ,
सूरज की किरणों के पड़ने से,
'अरविन्द' खिलता है
पर प्रकृति का यह नियम,
दिल्ली की राजनीतिमें ,
उल्टा ही दिखता है
यहाँ पर ,दो किरणे ,
एक किरण वालिया और
एक किरण बेदी ,
जब से मैदान में उतरी है ,
अरविंद थोड़ा घबराने लगा है
सर पर टोपी और गले में मफलर बाँध,
खुद को किरणों से बचाने लगा है
थोड़ा कुम्हलाने लगा है
कमल जब तक कीचड़ में है ,
झुग्गी झोंपड़ियों में है ,
अपनी सुन्दर छवि से ,
सबको लुभाता है
पर कमल ,लक्ष्मीजी का प्रिय है,
उस पर लक्ष्मीजी विराजती है,
और उनकी पूजा में,
उन पर चढ़ाया जाता है
लक्ष्मी और कमल का भी ,
ऐसा ही नाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
विपरीत परिस्तिथियाँ
अरविन्द याने की कमल ,
दोनों समानार्थी ,
याने कि भाई,भाई
पर दिल्ली की राजनीति में,
दोनों की लड़ाई
सुबह सुबह ,
सूरज की किरणों के पड़ने से,
'अरविन्द' खिलता है
पर प्रकृति का यह नियम,
दिल्ली की राजनीतिमें ,
उल्टा ही दिखता है
यहाँ पर ,दो किरणे ,
एक किरण वालिया और
एक किरण बेदी ,
जब से मैदान में उतरी है ,
अरविंद थोड़ा घबराने लगा है
सर पर टोपी और गले में मफलर बाँध,
खुद को किरणों से बचाने लगा है
थोड़ा कुम्हलाने लगा है
कमल जब तक कीचड़ में है ,
झुग्गी झोंपड़ियों में है ,
अपनी सुन्दर छवि से ,
सबको लुभाता है
पर कमल ,लक्ष्मीजी का प्रिय है,
उस पर लक्ष्मीजी विराजती है,
और उनकी पूजा में,
उन पर चढ़ाया जाता है
लक्ष्मी और कमल का भी ,
ऐसा ही नाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'