Monday, July 27, 2020

बदले बदले पिया

नाटक किये मैं ,पड़ी नींद में थी ,
जगायेंगे मुझको ,इस उम्मीद में थी
मगर उनने छेड़ा न मुझको जगाया
न आवाज ही दी न मुझको उठाया
गये लेट चुपके ,दिखाकर नाराजी
बदल से गये है ,हमारे पियाजी

गया वो जमाना ,जब हम रूठ जाते
वो करते थे मन्नत ,हमें थे  मनाते
करते थे ना ना ,उन्हें हम सताते
बड़ी मौज मस्ती से कटती थी रातें
मगर अब न चलता वो नाटक पुराना
गया रूठना और गया वो मनाना
ऐसी गयी है पलट सारी  बाजी
बदल से गए है हमारे पियाजी

भले ही हमारा बदन ढल गया है
पहले सा जलवा ,नहीं अब रहा है
तो वो भी तो अब ना उतने जवां है
मगर ना रहे अब ,वो मेहरबां  है
रहते हमेशा ,थके सुस्त से वो
है तंदरुस्त लेकिन नहीं चुस्त से वो
भले उन पे मरता ,हमारा जिया जी
बदल अब गए है ,हमारे पियाजी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
अदिति अविनाश विवाह

है कोमल कमल सा अविनाश दूल्हा ,
दुल्हन अदिति है नाजुक सी प्यारी
बड़े भोले भाले है समधी हमारे ,
बड़ी प्यारी प्यारी है समधन हमारी
खुशकिस्मती से ही मिलती है ऐसी ,
मुबारक हो सबको ,नयी रिश्तेदारी
बन्ना और बनी की ,बनी दोस्ती ये
रहे बन हमेशा ,दुआ है हमारी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
पेरोडी -
(बहारों ने मेरा चमन लूट कर ---)
फिल्म -देवर

कोरोना ने मेरा अमन लूट कर,
मुसीबत को अंजाम क्यों दे दिया
मेहरी की छुट्टी करा कर मुझे ,
घरभर का सब काम क्यों दे दिया
कोरोना ने मेरा अमन  लूट कर ---

सुबह नाश्ता ,लंच और फिर डिनर ,
पकाओ और  बरतन भी मांजो खुदी
पकाओ और बरतन  भी मांजो खुदी
झाड़ू  लगाओ और पोंछा करो ,
सफाई सुबह शाम क्यों दे दिया
कोरोना ने मेरा अमन  लूट कर ----

इतना बिजी काम में हो गयी ,
मुझे सजने धजने की फुरसत नहीं
मुझे सजने धजने की फुरसत नहीं ,
दिन भर पतिदेव घर पर रहें ,
मोहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया
कोरोना ने मेरा अमन लूट कर ----

बना कर रखो सबसे तुम दूरियां
हुई बन्द किट्टी और गपशप गयी
हुई बन्द किट्टी और गपशप गयी ,
परेशानियां ही परेशानियां ,
जीवन में तूफ़ान क्यों दे दिया
कोरोना ने मेरा अमन  लूट कर ---

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '