Monday, November 25, 2013

खुश्की -सर्दियों की

     खुश्की -सर्दियों की

इधर खुजली ,उधर खुजली
जिधर देखो, उधर खुजली
खुश्क अब सारी  त्वचा है
सर्दियों की ये सजा   है
क्रीम कितने ही चुपड़ लो
तेल की मालिश भी कर लो
पर मुई ये  नहीं जाती
रात दिन हमको सताती
पहले आती कभी जब ,तब
उसका कुछ होता था मतलब
हाथ में जब कभी आती
खर्च या इनकम कराती
पाँव में जो कभी आये
यात्रा हमको कराये
आँख कि खुजली बीमारी
खुजलियां  थी ,कई सारी
सर्दियों में तो मगर अब
हो रहे है ,हाल बेढब
हर जगह और हर ठिकाने 
चली आती है सताने

घोटू

जीवन के दो रंग

     जीवन के दो रंग
               १
बचपने में लहलहाती घास थे
मस्तियाँ,शैतानियां ,उल्लास थे
ना तो थी चिता कोई,ना ही फिकर ,
मारते थे मस्तियाँ,बिंदास थे
                २
हुई शादी ,किले सारे ढह गये 
दिल के अरमां ,आंसुओं में बह गये 
लहलहाती घास ,बीबी चर गयी,
पी गयी वो दूध ,गोबर रह गये

घोटू 

संतरा और नीबू

             संतरा और नीबू

संतरा और नीबू ,
एक ही वंश के फल है
पर संतरे में होता है मिठास
इसमें होता है विकास
और ये बनता है फल ख़ास
इसकी हर फांक स्वतंत्र हो जाती है
जिन्हे छील छील कर खाया जाता है
और आनंद उठाया जाता है
पर इसके भाई नीबू में होती है खटास
वह छोटा  का छोटा ही रहता है,
विकस नहीं पाता है
अपनी फांकों को स्वतंत्र नहीं होने देता ,
इसलिय काट कर और निचोड़ कर ,
काम में लाया जाता है
इसलिए अपने स्वभाव में ,
मिठास लाओ
संतरे के गुण अपनाओ
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

माँ-मेहरबां

            माँ-मेहरबां

आसमां में माँ है,माँ का दिल है फैला आसमां
चन्द्रमा   में माँ है ,माँ की आँखों में है चन्द्रमा
कैसी भी औलाद हो ,रखती हमेशा ख्याल है,
प्यार बच्चों के लिए ,मन में बसा बेइन्तहां
रख्खा है ,नौ माह जिसने ,तुम्हे अपनी कोख में,
तुम सलामत ,खुश रहो,माँगी हमेशा ये दुआ
खुदा की रहमत मिलेगी ,इबादत माँ की करो,
उसके कदमो  में है जन्नत,रहमदिल वो रहनुमा
कितने ही तीरथ करो तुम ,व्रत करो,पूजन करो,
सबसे ज्यादा पुण्य मिलता ,माँ के चरणो को दबा
माँ नहीं,साक्षात् ये तो रूप है भगवान  का ,
करो वंदन ,इसमें बसते ,सारे देवी ,देवता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'