Saturday, March 28, 2020

कैद

एक तो हम उनके दिल में पहले से ही  कैद थे ,
उसपे किस्मत ने है देखो  ,जुल्म ऐसा कर दिया
चार दीवारी में बंध कर ,रहने को मजबूर है ,
करोना के कहर ने है ,कैद घर में कर दिया

घोटू 
आदत बिगड़ न जाए

लड़ने को करोना से ,एकांत है जरूरी ,
बचना है महामारी ,ज्यादा नहीं बढ़ जाए
इतने दिनों घर बैठे ,काटा न वक़्त ऐसे ,
डर  है कहीं हमारी,आदत बिगड़ न जाए

घोटू  
करोना के कारण

न हो ऐसा ,करोना के कहर  से, देश ये दहले
हमें एकांत में रहना ,जरूरी सबसे है पहले
धड़ी है ये मुसीबत की ,चंद  दिन घर में ही रहलें
पढ़े हम कुछ,लिखे हम कुछ ,देख कर टीवी मन बहले
कभी बैठें,कभी लेटें ,कभी फिर घर में ही टहलें
भलाई जिसमे सबकी है ,परेशानी जरा सहलें

घोटू 
करोना का कहर - आठों प्रहर

कल कुर्सी का हथ्था बोला  ,कब तक बांह दबाओगे ,
थोड़ी देर छोड़ दो मुझको ,खुला चैन से रहने दो
टी वी का रिमोट मिमियाया ,बार बार क्यों बटन दबा,
 मेरी हालत पतली करदी ,मुझको टिक कर रहने दो
सिरहाने का तकिया भी गुस्सा हो मुझ पर गुर्राया ,
बोअर हो गया ,खर्राटे सुन ,हटो ,सांस लेनी मुझको
बीबी बोली बंद करो यह तरह तरह की फरमाइश ,
रोज पकाना ,झाड़ू ,बरतन ,सब करना पड़ता मुझको
हाथ जोड़ कर साबुन बोला  ,बार बार घिसते मुझको ,
धोकर हाथ पड़े हो पीछे ,चैन न तुमको आये है
अरे करोना ,सत्यानाशी ,तूने ये हालत करदी ,
तुझ कारण ,एकांतवास ने ,क्या क्या दिन दिखलाये है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '